भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी और वोटर लिस्ट में अनियमितिताओं के गंभीर आरोप लगाने के लगभग हफ्ते भर बाद भारत निर्वाचन आयोग ने प्रेस वार्ता की. अब इस प्रेस वार्ता के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हैं और उन्होंने इस पर पर कहा है कि आयोग ने गलत आरोप लगाए हैं.
आयोग की प्रेस वार्ता के अगले दिन 18 अगस्त सोमवार को विपक्षी दलों की एक बैठक हुई. इस बैठक में INDIA अलायंस के अलावा भी दल पहुंचे. बैठक में समाजवादी पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव मौजूद थे. विपक्षी पार्टियों द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में रामगोपाल यादव ने कहा कि चुनाव आयोग का यह दावा कि विपक्ष बिना तथ्यों के आरोप लगा रहा है और कोई हलफनामा नहीं दिया गया है, गलत है.
रामगोपाल यादव ने और क्या कहा?
सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि निर्वाचन आयोग लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से अपनी शिकायत के साथ हलफनामा देने को कह रहा है, जबकि सपा ने 2022 में लगभग 18,000 मतदाताओं को सूची से हटाए जाने की शिकायतों के साथ हलफनामा प्रस्तुत किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में, जब अखिलेश यादव ने कहा कि सपा समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, तो हमने हलफनामा दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.’
इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक पत्र जारी किया गया जिसमें सभी दलों की ओर से बयान जारी किया गया था. इस बयान पर समाजवादी पार्टी ने भी सहमति व्यक्त की है.
कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया साइट एक्स पर जारी बयान में कहा गया है- 'नए' चुनाव आयोग ने 17 अगस्त, 2025 को अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस लगभग 90 मिनट तक चली. प्रेस को मुख्य रूप से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने संबोधित किया. मुख्य चुनाव आयुक्त ने 14 अगस्त, 2025 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कोई स्पष्टीकरण या टिप्पणी नहीं दी, जिसमें बिहार में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के मूल डेटा को जारी करने से रोकने की उनकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें नाम हटाने के कारणों के साथ-साथ उनके नाम प्रकाशित करने का निर्देश दिया था. मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस पर कोई टिप्पणी या स्पष्टीकरण नहीं दिया कि बिहार एसआईआर इतनी जल्दबाजी, बिना तैयारी और तदर्थ तरीके से क्यों आयोजित की जा रही थी.
बयान में कहा गया- मुख्य चुनाव आयुक्त ने महादेवपुरा में सामने आए मतदाता धोखाधड़ी पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई स्पष्टीकरण या टिप्पणी नहीं की, सिवाय इसके कि उन्होंने हलफनामे में डेटा पेश करने की अपनी कानूनी रूप से अशक्त मांग दोहराई. इसके अलावा, मुख्य चुनाव आयुक्त ने मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों पर कोई जांच या जांच क्यों नहीं हुई, इस बारे में किसी भी कठिन सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया.
बयान के अनुसार चुनाव आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में पूरी तरह विफल रहा है. अब यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव आयोग का नेतृत्व ऐसे अधिकारी नहीं कर रहे हैं जो समान अवसर सुनिश्चित कर सकें. इसके विपरीत, अब यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग का नेतृत्व करने वाले लोग मतदाता धोखाधड़ी की सार्थक जांच के किसी भी प्रयास को भटकाते और विफल करते हैं और इसके बजाय सत्तारूढ़ दल को चुनौती देने वालों को डराने-धमकाने का विकल्प चुनते हैं. यह एक गंभीर अभियोग है.