Bharat Ratna 2024: जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी कहते हैं कि चौधरी साहब को भारत रत्न का सम्मान मिलना असल में ग्रामीण भारत का सम्मान है. वे ग्रामीण भारत के उत्थान और उसकी प्राथमिकताओं के लिए पंडित नेहरू से भिड़ने वालों में से एक थे. राजनीतिक नुकसान के बाद भी वे ऐसा करने से रुकने वालों में नहीं थे. नागपुर सम्मेलन में नेहरू का विरोध सर्वविदित है. उनके भूमि सुधार कार्यक्रम से बड़े जमींदार नाराज हो गए थे. मिनिमम स्पोर्ट प्राइज का कॉन्सेप्ट भी उनका ही है. 


गांव विकास के लिए ज्यादा धन आवंटित करने के लिए उनका लड़ाका स्वभाव ही ने उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग पहचान दी. वे भारत के नायकों में से एक थे. राजनीति, पहले बड़े लोगों के लिए थी, लेकिन चौधरी साहब ने इसे 'मिडिल क्लास' और 'किसानों' के लिए भी सुलभ कराने का कार्य किया.


'ईमानदार और बेदाग छवि के नेता थे'
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी, उनकी बेदाग और ईमानदार छवि के कायल हैं. इनका कहना है कि चौधरी साहब, राजनीति में बहुत ईमानदार और बेदाग छवि के नेता थे. किसानों के लिए बहुत सारे काम किए. ग्रामीण भारत की दशा बदली. प्रधानमंत्री बने, तब ग्रामीण विकास मंत्रालय का गठन किया. नाबर्ड बैंक बनाया. गौ-सेवा पर जोर दिया. गांव की सड़कों को सुधारने का काम किया. मजदूरों को सड़क बनाने में कार्य करने के बदले अनाज दिया. फूड फॉर वर्क जैसा अभियान चलाया. उसी योजना को अभी हम मनरेगा के परिवर्तित रूप में देख रहे हैं.


उनके विचारों ने देश को दिशा दी
रालोद से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चौधरी चरण सिंह ने हमेशा किसानों के हित में संघर्ष किया. जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री के तौर पर किसानों के उत्थान-विकास में अनेक नीतियां बनाईं. पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाले स्व. चौधरी ने किताबें एवं पुस्तक लिखी. जमींदारी उन्मूलन, भारत की गरीबी और उसका समाधान, किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, प्रिवेंशन ऑफ डिवीन ऑफ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम,को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रेड जैसी पुस्तकों के लेखन से देश को दिशा देने का कार्य किया.


कांग्रेस से शुरू किया चुनाव लड़ना
चौधरी चरण सिंह जी ने चुनाव लड़ना कांग्रेस से ही शुरू किया, 1952, 1962 और 1967 की विधानसभा में जीते. गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी रहे. रेवेन्यू, लॉ, इनफार्मेशन, हेल्थ कई मिनिस्ट्री में भी रहे, संपूर्णानंद और चंद्रभानु गुप्ता की सरकार में भी मंत्री रहे.1967 में चरण सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय क्रांति दल नाम से अपनी पार्टी बना ली. राम मनोहर लोहिया का इनके ऊपर हाथ था. यूपी में पहली बार कांग्रेस हारी और चौधरी चरण सिंह मुख्यमंत्री बने. चौधरी चरण सिंह 1967 और 1970 में मुख्यमंत्री बने.


सियासी सफर दिलचस्प रहा
पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह का जन्म किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने बागपत को कर्मस्थली बनाया और प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. पश्चिमी यूपी से किसान नेता से लेकर देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने तक का चौधरी चरण सिंह का सियासी सफर बहुत दिलचस्प रहा है. उन्होंने 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक वह प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे.चौधरी चरण सिंह ने अपने मुख्यमंत्री काल में एक मेजर डिसीजन लेते हुए खाद पर से सेल्स टैक्स हटा लिया. सीलिंग से मिली जमीन किसानों में बांटने की कोशिश की, पर उत्तर प्रदेश में ये सफल नहीं हो पाया.


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