Char Dham Yatra 2025: बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने इस बार प्रसाद की पैकेजिंग का कार्य स्वयं करने का निर्णय लिया है. पहले यह कार्य निजी वेंडरों के माध्यम से किया जाता था, लेकिन अब समिति ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए खुद इस कार्य को संभालने का फैसला किया है. इस पहल के तहत प्रसाद की पैकेजिंग में पॉलिथीन का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा और इसके स्थान पर कपड़े तथा जूट के बैग उपयोग में लाए जाएंगे.

बीकेटीसी ने इस योजना को सफल बनाने के लिए चरणबद्ध तरीके से कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. पहले चरण में 20 कर्मचारियों को सरस्वती जनकल्याण एवं स्वरोजगार संस्थान के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया, जिन्हें प्रसाद के लिए विशेष रूप से बॉक्स और थैलियां बनाना सिखाया गया. दूसरे चरण में 40 और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि चारधाम यात्रा के दौरान पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी प्रसारित होगा.

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चारधाम यात्रा के दौरान बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए आने वाले वीआईपी अतिथियों को बीकेटीसी की ओर से प्रसाद प्रदान किया जाता है. अब इस प्रसाद की पैकेजिंग पर्यावरण अनुकूल सामग्री से की जाएगी, जिससे हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी. बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि इस पहल से तीर्थयात्रियों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाएगा और वे भी कपड़े व जूट के बैग का उपयोग करने के लिए प्रेरित होंगे.

इस परियोजना के माध्यम से स्थानीय कारीगरों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे. जूट और कपड़े के बैग बनाने के लिए स्थानीय हस्तशिल्पियों की सेवाएं ली जाएंगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी. बीकेटीसी का यह निर्णय न केवल धार्मिक पर्यटन को अधिक पर्यावरण हितैषी बनाएगा बल्कि समाज में स्वच्छता और हरित पहल की भावना को भी बढ़ावा देगा.

केदारनाथ और बदरीनाथ धाम आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यह बदलाव एक नया अनुभव होगा. प्लास्टिक मुक्त प्रसाद पैकेजिंग से वे भी प्रेरित होकर अपने दैनिक जीवन में इस तरह की पर्यावरण हितैषी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे. बीकेटीसी की यह पहल ग्रीन चारधाम यात्रा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आने वाले समय में यात्रा को और अधिक स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जा सकेगा.

इस प्रकार, बीकेटीसी की यह योजना न केवल धार्मिक पर्यटन को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाएगी, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी सशक्त बनाएगी.