Gorakhpur News: बीते कई महीनों पहले पीलीभीत टाइगर रिजर्व जंगल से बाहर ग्रामीण क्षेत्र से रेस्क्यू किए गए बाघ को गोरखपुर चिड़ियाघर भेज दिया गया था, जिससे प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ मिलने गए थे. उस तनदुरुस्त बाघ का नामकरण केसरी रख दिया गया. वन विभाग के अधिकारियों के दावे के मुताबिक 2014 से अब तक का ये बाघ आकार में सबसे बड़ा और भारी बाघ था.

इसकी गोरखपुर चिड़िया घर में बीते रविवार को दर्दनाक मौत हो गई. एक्सपर्ट की माने सितंबर 2024 में पीलीभीत में लगातार हमले करने वाला भाग गोरखपुर स्थानांतरित कर दिया गया था. इसके बाद से वह रिकॉर्ड समय शांत सर झुकाए रहता था. कई बार केसरी अपने उग्र स्वभाव में आते हुए बड़े की दीवार और जल को भी जाग जोर लेकर खुद को चोटिल कर लेता था. 

क्या बोले विशेषज्ञआठ वर्षीय विशालकाय बाघ ने गोरखपुर चिड़ियाघर नाइटसेल में लगे सीसीटीवी कैमरे भी उग्रता में आकर तोड़ दिए. उसका यही तनाव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण बन गया. शारीरिक रूप से फिट होने की वजह से इसे कोई समझ नहीं पाया. विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ पहले से ही काफी तनाव में था. इसकी वजह से उसमें दिमाग में पानी भरता गया.

यह पानी केवल एक दिन में नहीं भरा है. धीरे-धीरे यह पानी भरा और काफी गाढ़ा हो गया था. इसकी वजह से उसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या थी. केसरी की मौत के बाद उसके पोस्टमॉर्टम के बाद अस्पताल के क्रिमेटोरियम में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. वन्य जीव प्रेमी लगातार बाघों को रेस्क्यू कर चिड़ियाघर न भेजे जाने की अपील करते रहे हैं. 

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सीएम योगी ने रखा था नाम2014 से अब तक पीलीभीत से 11 भागे हुए चिड़ियाघर में सजा भुगत रहे हैं, बीते सितंबर 2024 में जब पीलीभीत टाइगर रिजर्व का अब तक का सबसे बड़ा बाग केसरी रेस्क्यू किया गया. शासन के निर्देश के बाद गोरखपुर चिड़ियाघर भेजना कि जैसे ही सूचना पीलीभीत के वन अधिकारियों ने दी तो वन्य जीव प्रेमियों ने इस पर सवाल उठाते हुए बाघ को चिड़ियाघर में ना भेजे जाने की मांग रखी. लेकिन केसरी के गोरखपुर चिड़ियाघर में कैद का फैसला हो चुका था.

पीलीभीत का बाग गोरखपुर की शोभा बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री के मिलने के बाद से काफी मशहूर हुआ. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने उसे अच्छा और मजबूत टाइगर देखते हुए उसका नामकरण कर केसरी नाम दे दिया. लेकिन केसरी सितंबर से लेकर अप्रैल 2025 तक उसके स्वभाव में उग्रता देखी जाने लगी. वह बीमार हो गया और बीते रविवार को उसने अपना दम तोड़ दिया. पीलीभीत के बाघ की मौत की सूचना मिलते ही वन्य जीव प्रेमियों में काफी रोष देखा गया.

पीलीभीत में लगातार बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर पर्यटकों को आकर्षित करने वाले टाइगर रिजर्व में बीते गत वर्ष हुई बाघों की गणना के अनुसार अब तक 75 से अधिक बाघों की गिनती हुई है. पीलीभीत के टाइगर उनकी जीवन शैली और उनके रहन-सहन के लिए बेहतर पर्यावरण माना जाता है. यही कारण है कि यहां के टाइगर दूसरे टाइगर रिजर्व की अपेक्षा बड़े और खूबसूरत देखे जाते हैं. लेकिन लगातार एक के बाद एक बाघों का सिलसिला चिड़ियाघर में जाने की सूचना वन्य जीव प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर नहीं है.