UP News: अपने बयानबाजी को लेकर चर्चाओं में रहने वाली फायर ब्रांड नेत्री साध्वी (Sadhvi Prachi) प्राची दिल्ली (Delhi) के जहांगीरपुरी में हुई संप्रदाय (Jahangirpuri Violence) घटना के बाद मुखर नजर आ रही हैं. साध्वी प्राची ने चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) को लेकर बड़ा बयान दिया है. वहीं संप्रदाय विशेष पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अभी तो यह लोग केवल 20 फीसदी हैं. जो धार्मिक यात्रा पर नासिर पत्थरबाजी करते हैं और गोलियां चलाते हैं. अगर यह लोग 50 फीसदी हो गए तो हिंदुओं को अपनी सब यात्रा निकालना भी मुश्किल हो जाएगा.
क्या बोली साध्वी प्राची?
साध्वी प्राची ने चार धाम यात्रा पर बोलते हुए कहा कि हिंदुओं की चार धाम यात्रा में किसी भी मुसलमान आने जाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए. दिल्ली से हरिद्वार जा रही साध्वी प्राची ने मुजफ्फरनगर के हृदय स्थल शिव चौक पर पहुंचकर पहले शिव शंकर भगवान की पूजा अर्चना कर शिवलिंग पर जल चढ़ाया. उसके बाद बयान देते हुए कहा कि देखिए जब हज करने के लिए जाए जाता है तो वहां पर गैर-मुस्लिम प्रवेश नहीं कर सकता. इसीलिए ईसाई धर्म के धार्मिक स्थल पर गैर-ईसाई प्रवेश नहीं कर सकता. इसीलिए संत समाज भी मांग कर रहा है कि चार धाम की यात्रा पर गैर-मुस्लिम का प्रवेश नहीं होना चाहिए. बता दें कि इससे पहले बीजेपी विधायक महंत दिलीप रावत ने भी ये मांग रखी थी.
क्या रखी मांग?
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूं कि हमारी मांग की कदर करते हुए मांग को स्वीकार कर लिया जाए. मैं मुख्यमंत्री धामी का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं. देखिए हिंदुओं के कोई भी त्यौहार हो आज चिंतन करने का विषय है. हमें चिंतन करना चाहिए कि किसी भी त्योहार पर जब हम यात्रा निकालते हैं, तभी तो केवल 20 फीसदी ही 50 परसेंट पर पत्थरबाजी करते हैं. अगर वे 50 फीसदी हो गए तो हिंदुओं की शव यात्रा भी निकलनी मुश्किल हो जाएगी. इसीलिए यह चिंता करने का विषय है.
फांसी की रखी मांग
उन्होंने कहा कि एक समुदाय के लोग ही विशेषकर वहां पर जहां हिंदुओं की धार्मिक यात्राएं निकलती है, उस पर पत्थर भी फेंकते हैं और गोलियां भी चलाते हैं. तब हैदराबाद से एक नेता की आवाज भी उठी है. वह कह रहा है कि एक ही संप्रदाय के लोगों पर शिकंजा कसा जा रहा है. ओवैसी बताएं, इस देश को जब पत्थर मारने वाला अब्दुल है, अफजल है, जाकिर है तो कार्रवाई तो उन्हीं पर होगी ना. ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा ही नहीं बल्कि मैं कहती हूं कि फांसी की सजा होनी चाहिए. बहुसंख्यक यह देश है हिंदुओं के त्योहारों पर इस तरह की घटनाएं होना बहुत शर्मनाक है.
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