उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर की व्यवस्था की व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि संविधान में सामाजिक न्याय भावना के तहत पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया गया है. लेकिन वर्तमान में लागू क्रीमी लेयर व्यवस्था उन्हें अधिकारों से वंचित कर रही है.
चंद्रशेखर आजाद ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण में क्रीमी लेयर व्यवस्था समाप्त करने और आय सीमा बढ़ाने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चिट्ठी लिखी है जिसमें क्रीमी लेयर की व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी
आसपा सांसद ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में लिखा कि 'संविधान प्रदत्त सामाजिक न्याय की भावना के अनुरूप अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया गया है. किंतु वर्तमान में लागू क्रीमी लेयर की व्यवस्था, ओबीसी समाज के बड़े वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रही है.
ये प्रावधान सामाजिक न्याय की मूल आत्मा के विपरीत और असंवैधाानिक प्रतीत होती है. हमारा आग्रह है कि सरकार संसद में बिल लाकर ओबीसी आरक्षण से क्रीमी लेयर की व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त करे.'
नगीना सांसद ने कहा कि 'जब तक ये व्यवस्था समाप्त नहीं होती, तब तक वर्तमान आय सीमा को तुरंत प्रभाव से बढ़ाकर 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष किया जाए ताकि अधिक से अधिक जरुरतमंद परिवार इसका लाभ प्राप्त कर सके.'
उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री जी ये कदम न केवल ओबीसी समाज के लिए न्याय संगत होगा बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में ऐतिहासिक पहल साबित होगा.' चंद्रशेखर ने अपनी मांगों पर गंभीरता से विचार कर तत्काल ठोस कार्रवाई करने की अपील की.
केंद्र सरकार क्रीमी लेयर पर कर रही विचार
बता दें कि केंद्र सरकार ओबीसी आरक्षण का लाभ पाने के लिए क्रीमी लेयर की इनकम सीमा में एक समानता लाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. यानी की सभी तरह के सरकारी, सार्वजनिक उपक्रमों, यूनिवर्सिटी या प्राइवेट संस्थानों के लिए ओबीसी की क्रीमी लेयर की आय सीमा एक रखने पर विचार किया जा रहा है.
इसके पीछे ओबीसी क्रीमी लेयर में ये निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके कि कौन इसके दायरे में आता है और किसे इससे बाहर किया जाना चाहिए. इससे पहले अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी यही मांग की थी. अब देखना होगा कि बीजेपी और सरकार का इस मांग पर क्या रुख होगा?