Chandrashekhar Azad Rohini Ghavri: उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) प्रमुख चंद्रशेखर आजाद एक गंभीर आरोप के चलते इन दिनों विवादों में घिरे हुए हैं. चंद्रशेखर आजाद पर यह आरोप पीएचडी स्कॉलर डॉ. रोहिणी घावरी ने लगाया है. अब इस बीच रोहिणी धावरी ने चंद्रशेखर आजाद की मां को लेकर बड़ा बयान दिया है.

पीएचडी स्कॉलर रोहिणी धावरी ने एक्स पर लिखा, "चंद्रशेखर की माँ ने उन्हें रोहिणी के अलावा सभी महिलाओं का सम्मान करना सिखाया.  एक वक्त इनकी माँ मुझे बहुत पसंद करती थी, अपने घर आए हुए अतिथियों को बोलती थी मेरा बेटा विदेश जाएगा एक अच्छा जीवन जियेगा उसे बहुत काबिल लड़की मिली है. अब समझ आता है सब मिले हुए थे मुझे बर्बाद करने में सबने मेरे दिमाग से खेल भरोसा दिलाया."

चंद्रशेखर पर क्या हैं आरोप?दरअसल, रोहिणी घावरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए और कुछ मीडिया साक्षात्कारों में यह दावा किया है कि चंद्रशेखर ने न सिर्फ उनका, बल्कि कई अन्य लड़कियों का भी यौन और भावनात्मक शोषण किया. उन्होंने आरोप लगाया कि चंद्रशेखर ने अपनी शादी की बात उनसे और बाकी लड़कियों से छुपाई और उनका विश्वास तोड़ा.

रोहिणी का कहना है कि उन्होंने चंद्रशेखर के साथ पांच साल तक संबंध में रहने के दौरान कई बार महसूस किया कि वह सिर्फ उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने खुद को "विक्टिम नंबर 3" बताया और यह भी दावा किया कि उनके जैसे और भी कई पीड़ित हैं जिनकी आवाज आज तक नहीं सुनी गई.

कौन हैं रोहिणी घावरी?रोहिणी घावरी ने चंद्रशेखर पर न सिर्फ भावनात्मक और शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है, बल्कि अपनी जान को खतरा होने की बात भी कही है. आपको बता दें कि मूलतः मध्यप्रदेश के इंदौर शहर की रहने वाली डॉ. रोहिणी घावरी वाल्मीकि समुदाय से आती हैं. उनके पिता इंदौर के एक बीमा अस्पताल में सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं. बेहद साधारण बैकग्राउंड से आने के बावजूद रोहिणी ने शिक्षा और आत्मविश्वास के दम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई. उन्होंने स्विट्जरलैंड की एक यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की और पीएचडी के लिए एक करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप भी हासिल की थी. उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में पीएचडी की है.

इससे पहले उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ कॉमर्स से फॉरेन ट्रेड में बीबीए किया और उसके बाद इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से मार्केटिंग में एमबीए की पढ़ाई की थी. रिपोर्ट्स के अनुसार वह बीते पांच सालों से स्विट्जरलैंड में एक जॉब कर रही हैं और एक NGO भी चला रही हैं, जो सामाजिक मुद्दों पर काम करता है. साल 2019 में वह पढ़ाई के सिलसिले में विदेश गई थीं और वहीं से उनका संपर्क चंद्रशेखर आजाद से शुरू हुआ था.

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