हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मणिमहेश मंदिर की यात्रा पर गए शामली के कैराना निवासी डॉक्टर दंपत्ति और उनके बेटे की सात दिन बाद सकुशल वापसी हुई है. भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने चंबा और आसपास के इलाकों में भारी तबाही मचाई थी, जिसके कारण यह परिवार बुरी तरह फंस गया था. सड़कें बंद होने और संचार व्यवस्था ठप होने के बावजूद, परिवार ने हिम्मत नहीं हारी और टैक्सी के जरिए सुरक्षित अपने घर लौट आया.
कैराना के डॉ. श्रवण कुमार गर्ग और उनकी पत्नी दीपाली गर्ग जो हिन्दू इंटर कॉलेज की रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं. अपने बेटे के साथ 23 अगस्त को मणिमहेश मंदिर दर्शन के लिए चंबा गए थे. लेकिन भारी बारिश और भूस्खलन ने उनकी यात्रा को खतरनाक बना दिया. डॉ. श्रवण ने बताया कि भूस्खलन के कारण चंबा जनपथ और आसपास की सभी सड़कें बंद हो गई थीं. इस दौरान उनका किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा था, और स्थानीय प्रशासन या सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली.
विकट परिस्थितियों में बिताए सात दिन
डॉ. गर्ग ने बताया कि बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के कारण इलाके में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और भारी तबाही मची. उन्होंने कहा कि स्थिति पूरी तरह विकट थी. न राहत कार्य सही तरीके से चल रहे थे, न ही प्रशासन की ओर से कोई सहायता मिली. हमने अपने परिवार के साथ पूरी रात उन खतरनाक परिस्थितियों में बिताई. परिवार ने हिम्मत बनाए रखी और सात दिन की कठिन परिस्थितियों के बाद टैक्सी के माध्यम से कैराना वापस लौटने में सफल रहा.
सरकार से बेहतर तैयारी की मांग
डॉ. श्रवण और दीपाली गर्ग ने इस अनुभव को बेहद डरावना और चुनौतीपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि सभी सार्वजनिक परिवहन और सड़कें बंद होने के कारण उनकी वापसी केवल टैक्सी के जरिए संभव हो पाई. परिवार ने भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए सरकार से बेहतर तैयारी और राहत कार्यों की मांग की है. दीपाली गर्ग ने कहा कि हम सुरक्षित लौट आए, लेकिन यह अनुभव हमें जीवनभर याद रहेगा. सरकार को ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए.