यूपी के फिरोजाबाद जनपद की शिकोहाबाद तहसील में कब्रिस्तान विवाद को लेकर चल रहा तनाव अब नए मोड़ पर पहुंच गया है. तहसील प्रशासन ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए गाटा संख्या 1087 पर मेहराज अली को कब्जा दिला दिया है. समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन द्वारा लगाए गए दंगा भड़काने के आरोपों का शिकोहाबाद के SDM गजेंद्र पाल सिंह ने कड़ा खंडन किया है.
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेश का पूरी पारदर्शिता के साथ पालन किया है और दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों की मंशा को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.
क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि यह विवाद 16 अगस्त से शुरू हुआ, जब रामजीलाल सुमन ने शिकोहाबाद में कब्रिस्तान का ताला खुलवाने के लिए तहसील प्रशासन को अल्टीमेटम दिया था. उन्होंने प्रशासन पर कब्रिस्तान की जमीन (गाटा संख्या 1087) पर कब्जा कराने और दंगा भड़काने की मंशा का आरोप लगाया था. सुमन ने शुक्रवार को शिकोहाबाद के एक होटल में प्रेस वार्ता आयोजित कर दोबारा इन आरोपों को दोहराया और तहसील प्रशासन पर मुस्लिम भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का भी इल्जाम लगाया.
जबकि मेहराज अली ने अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ इस गाटा संख्या 1087 पर अपनी पुश्तैनी जमीन होने का दावा किया और सुमन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्हें भू-माफिया के साथ जोड़ा.
तहसील प्रशासन का जवाब
शिकोहाबाद के एसडीएम गजेंद्र पाल सिंह ने सुमन के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि गाटा संख्या 1087 मेहराज अली की जमीन है, जबकि गाटा संख्या 1088 कब्रिस्तान की जमीन है. दोनों का सीमांकन पहले ही हो चुका है. उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार, मेहराज अली को गाटा संख्या 1087 पर कब्जा दिलाया गया है. इस प्रक्रिया में तहसील प्रशासन और पुलिस ने कब्रिस्तान रोड को दोनों तरफ से बंद कर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बाउंड्री वॉल का निर्माण कराया.
एसडीएम ने भगवद गीता के श्लोक परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे का उल्लेख करते हुए कहा कि दुष्ट प्रवृत्ति के लोग जो शहर की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी मंशा कभी पूरी नहीं होगी. प्रशासन और पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगी.
कोर्ट के आदेश का पालन
तहसील प्रशासन ने स्पष्ट किया कि गाटा संख्या 1087 और 1088 को लेकर कोर्ट का आदेश स्पष्ट है. मेहराज अली को उनकी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए प्रशासन ने पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया. कब्रिस्तान रोड को बंद कर और भारी पुलिस बल की तैनाती के साथ यह सुनिश्चित किया गया कि कोर्ट के आदेश का पालन हो और किसी तरह का तनाव उत्पन्न न हो.