CDS General Bipin Rawat Helicopter Crash: तमिलनाडु के ऊटी के पास कुन्नूर में बुधवार को हुए एक हेलिकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत बुरी तरह झुलस गए हैं. उन्हें अस्पताल ले जाया गया है. सेनाध्यक्ष से रिटायर होने के बाद जनवरी 2020 में उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया था. जनरल रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक गांव के रहने वाले हैं. आइए जानते हैं जनरल बिपिन रावत के बारे में.
पिता भी सेना से रिटायर हुए
पौड़ी गढ़वाल के एक गांव में 16 मार्च 1958 को पैदा हुए बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत का परिवार पीढ़ियों से सेना में रहा है. उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत लेफ्टिनेंट जनरल के पद से 1988 में रिटायर हुए थे. ऐसे परिवार से आने वाले बिपिन रावत ने करियर के रूप में सेना को ही चुना था. उन्होंने गोरखा राइफल से 1978 में अपने सैन्य करियर की शुरूआत की थी. उन्होंने दिसंबर 2019 तक सेना की नौकरी की. सेना से रिटायरमेंट के एक दिन पहले ही सरकार ने उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाने की घोषणा की थी. उन्होंने 1 जनवरी 2020 को पदभार भी ग्रहण कर लिया था.
बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था. भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था. जनरल रावत का करियर उपलब्धियों से भरपूर रहा है. इसे उनको मिले पुरस्कारों से समझा जा सकता है. उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल जैसे मेडल मिल चुके हैं.
करगिल युद्ध में लिया हिस्सा
जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था. इस युद्ध में भारत को जीत मिली थी. सरकार ने 2001 में उस समय के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) का गठन किया था. इस जीओएम ने युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी का पता लगाया था. इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नियुक्ति की सिफारिश की थी. इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं में तालेमेल बनाना है.
जनरल बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया. इस दौरान उन्होंने एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड का भी नेतृत्व किया. उन्हें 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख बनाया गया था. जनरल रावत ने सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी. उन्हें दो अधिकारियों पर तरजीह दी गई थी. इसमें अशांत क्षेत्रों में काम करने के उनके अनुभव की बड़ी भूमिका थी. उनके पास पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का अनुभव था.
सीमा पार कर की आतंकियों पर कार्रवाई
जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था. मणिपुर में हुए एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हुए थे. इसके जवाब में सेना के कमांडों ने म्यांमा की सीमा में दाखिल होकर हमला किया था. इस हमले में एनएससीएन के कई आतंकी मार गिराए गए थे. यह अभियान चलाया था 21 पैरा ने, जो थर्ड कॉर्प्स के तहत काम करता था. उस समय थर्ड कॉर्प्स के कमांडर बिपिन रावत ही थे.
जम्मू कश्मीर के उरी में स्थित सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर कुछ आतंकियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए थे और करीब 30 सैनिक जख्मी हुए थे. इसके बाद सरकार ने सीमा पारकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने का फैसला लिया था. इस पर सेना ने 28-29 सितंबर की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर जाकर आतंकी शिविरों पर कार्रवाई की थी.