Kanpur Police on Action mode: कानपुर में रोक के बावजूद जुलूस-ए-मोहम्मदी के मौके पर जुलूस निकाला गया. रोक के बावजूद जुलूस के लिए हजारों लोग सड़क पर आ गए. शुरुआत परेड चौराहे से हुई और धीरे-धीरे कई मुस्लिम इलाकों में जुलूस निकलने लगे. पुलिस अधिकारियों ने इसे गैर जिम्मेदाराना हरकत करार दिया है, जिसके बाद 303 लोगों के खिलाफ धारा 188, 269, 270, 3/4 महामारी अधिनियम, 51 आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत चमनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है. इसमें चमनगंज का रहने वाले हयात जफर हाशमी, मोहम्मद शाम व अब्दुल हसीब नामजद हैं, जबकि 300 अज्ञात हैं. 12 रबी उल अव्वल यानी ईद मीलादुन्नबी के मौके पर शहर में 109 वर्षों से जुलूस निकाला जाता रहा है. 


कोविड के कारण 2020 में नहीं निकल सका ता जुलूस


जुलूस 2020 में कोविड के कारण मुमकिन नहीं हो सका था. इसका नेतृत्व करने वाली संस्था जमीअत ए उलमा ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए इस बार भी जुलूस निकालने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने भी सख्ती से जुलूस निकालने पर पाबंदी लगा दी. जिसके बाद मुस्लिम समाज के जिम्मेदार धर्मगुरुओं ने भी जुलूस नहीं निकालने की अपील की. इसके बाद भी शहर में कई जगह लोगों की भीड़ जुटी और चमनगंज इलाके से जुलूस निकाला गया. पुलिस ने तीन नामजद सहित 303 लोगों पर मामला दर्ज किया.


क्यों निकाला गया जुलूस, होगी जांच 


कानपुर में मंगलवार को पुलिस की रोक के बाद भी जुलूस ए मोहम्मदी को क्यों निकाला गया, पुलिस और प्रशासन इसकी पड़ताल कर रहे हैं. क्योंकि प्रशासन ने कई दौर की बैठकों के बावजूद इसे निकालने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन बड़ी संख्या में लोग परेड, यतीमखाना और आसपास के मुस्लिम बहुल इलाकों में निकल आए और पुलिस प्रशशन को सीधी चुनौती दे डाली. हालांकि, पुलिस का शुरुआती तौर पर कहना था कि जुलूस शांतिपूर्वक संपन्न हुआ और ट्रैफिक की भी कोई समस्या नहीं हुई, लेकिन बीजेपी विधायक सुरेंद्र मैथानी ने पुलिस कमिश्नर से इसकी जांच की मांग कर दी. पुलिस कमिश्नर असीम अरुण से मामले की जांच कराने की मांग करते हुए बीजेपी विधायक ने कहा कि, इसमें सुनियोजित षड्यंत्र की आशंका नजर आ रही है. बिना अनुमति के ऐसा जुलूस निकालना लोगों की जान खतरे में डालना भी हो सकता है.


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