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उत्तर प्रदेश के सबसे रूह कंपा देने वाले आपराधिक मामलों में से एक, 'बुलंदशहर NH-91 मां-बेटी गैंगरेप कांड' में आज न्याय की बड़ी जीत हुई है. घटना के 9 साल, 4 माह और 19 दिन बाद बुलंदशहर की विशेष पोक्सो (POCSO) कोर्ट ने 5 आरोपियों को दोषी करार दिया है. इस फैसले ने उस काली रात के जख्मों पर इंसाफ का मरहम लगाया है जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

29 जुलाई 2016 की रात करीब 1:30 बजे, एक परिवार नोएडा से शाहजहांपुर जा रहा था. बुलंदशहर के दोस्तपुर गांव के पास बदमाशों ने कार रोककर पूरे परिवार को बंधक बना लिया. हथियार के बल पर बदमाशों ने परिवार के सामने ही मां और उसकी नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक रेप किया.

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उस समय पीड़िता की शारीरिक और मानसिक स्थिति बेहद नाजुक थी, लेकिन हैवानों ने रहम नहीं किया. मदद के लिए डायल 100 पर कॉल की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. पुलिस की इस विफलता के कारण तत्कालीन एसएसपी, एसपी सिटी और सीओ समेत कई बड़े अधिकारियों को निलंबित किया गया था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई (CBI) को सौंपी जांच

जांच और पुख्ता सबूत मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई (CBI) को सौंपी. विवेचना के दौरान फॉरेंसिक साक्ष्य, विशेषकर पीड़िता की मां के कपड़ों पर मिले सीमेन का डीएनए मिलान आरोपियों से होना, सजा दिलाने में सबसे अहम कड़ी साबित हुआ.

11 आरोपी 2 एनकाउंटर, 1 की मौत

इस मामले में कुल 11 लोग आरोपी थे. कानूनी प्रक्रिया के दौरान मुख्य आरोपी सलीम की मौत हो गई. वहीं, दो खूंखार आरोपीअजय उर्फ कालिया और बंटी उर्फ गंजाक्रमशः हरियाणा और नोएडा एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ों में ढेर कर दिए गए. तीन अन्य को सीबीआई ने क्लीनचिट दे दी थी. शेष बचे 5 आरोपियों को आज कोर्ट ने गुनहगार माना है.

इंसाफ की जीत

फिलहाल पीड़ित परिवार अपनी सुरक्षा के चलते बरेली में अज्ञात स्थान पर रह रहा है. 2017 और 2018 में आरोप तय होने के बाद लंबी कानूनी लड़ाई चली. आज के फैसले ने साबित कर दिया है कि देर से ही सही, लेकिन कानून के हाथ दरिंदों के गिरेबान तक पहुंच ही जाते हैं.