लखनऊ: भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत की ओर से शक्ति परीक्षण के लिए दी गई चुनौती को खारिज करते हुए उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्य सरकार में मंत्री सुरेश राणा ने कहा है कि परिवार के साथ शक्ति परीक्षण नहीं किया जाता. राणा ने कहा,‘‘ मैं खुद किसान का बेटा हूं और मैं यही कहूंगा कि परिवार के साथ कभी शक्ति परीक्षण नहीं होता.’’
टिकैत ने दी थी चुनौती
भाकियू नेता नरेश टिकैत ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में भाजपा सरकार को उत्तर प्रदेश या हरियाणा के किसी भी मैदान में शक्ति प्रदर्शन की चुनौती दी थी. टिकैत ने कहा था, ‘‘पहले भाजपा अपनी रैली कर ले और फिर अगले दिन हम करेंगे और उन्हें हर जगह फेल कर देंगे.'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में गन्ना विकास एवं चीनी मिलों के मंत्री सुरेश राणा ने सोमवार को अपने कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर एजेंसी से बातचीत में किसान आंदोलन को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें की.
पीएम एक फोन कॉल की दूरी पर हैं
सुरेश राणा ने किसान आंदोलन और नये कृषि कानून के मुद्दे पर कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नये कानून के जरिये किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक पहल की और उसके बावजूद यदि किसान भाइयों ने सवाल उठाये तो प्रधानमंत्री ने वार्ता के दरवाजे सदैव खुले रखे और दर्जनों दौर की बातचीत हुई,अभी हाल में मोदी जी ने कहा कि मैं एक फोन कॉल की दूरी पर हूं.'
फिर वार्ता सफल न होने के सवाल पर उन्होंने कहा, ' मेरा केवल इतना कहना है कि यदि किसान संगठन कानून में सुधार या संशोधनों पर बात करेंगे तो निश्चित रूप से वार्ता आगे बढ़ेगी.'
कांग्रेस ने किया गुमराह
किसानों के हित में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की घोषणा के बावजूद किसानों की नाराज़गी के सवाल पर सुरेश राणा ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2013 में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब साहस के साथ इसे अमलीजामा पहनाया तो सराहना की बजाय उन लोगों ने किसानों को गुमराह करना शुरू कर दिया. राणा ने कहा कि किसान संगठनों के बीच जब ऐसे लोगों का प्रवेश हुआ तो दिशा बदल गई.
सपा पर निशाना
किसान आंदोलन को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आरोपों के जवाब में राणा ने कहा जातिगत आधार पर राजनीति करना, समाज में वैमनस्य पैदा करना, राजनीतिक रोटियां सेंकना और अपने चश्मे से समाजवाद की परिभाषा तय करना ही अखिलेश यादव और सपा की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि लाल किले पर तिरंगे का अपमान निंदनीय है, अशोभनीय है और पूरे देश ने इसकी निंदा की है.
राणा ने कहा कि जब कृषि मंत्री, गृहमंत्री और प्रधानमंत्री ने लगातार वार्ता के विकल्प खुले रखे हैं, ऐसे में किसानों के हित के मद्देनजर कानून में जो भी बेहतर संशोधन हैं उन्हें वार्ता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है.
गांव, गरीब और किसान
राणा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार किसान हितों के लिए कार्य किया है और भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिकता में गांव, गरीब और किसान हैं.
गौरतलब है कि करीब दो माह से नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलित हैं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमाओं पर कई राज्यों के किसान आंदोलन कर रहे हैं.
गणतंत्र दिवस पर ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद ऐसा लग रहा था कि किसान आंदोलन ठंडा पड़ जाएगा लेकिन भाकियू नेता राकेश टिकैत की भावनात्मक अपील के बाद गाजीपुर स्थित प्रदर्शन स्थल पर हजारों की संख्या में किसान जुट गए और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आयोजित हो रही महापंचायतों में भी किसानों की काफी भीड़ जुट रही है.
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