बिजनौर: वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण अब ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रहा है. संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने सभी राजस्व गांवों में पांच दिवसीय विशेष अभियान चलाने का बीड़ा उठाया है. लेकिन, इस दौरान निगरानी समितियों के सदस्य डोर-टू-डोर जाकर महज खानापूर्ति करते हुए नजर आ रहे हैं. 


निगरानी समिति का गठन किया गया
बिजनौर में राज्य सरकार की मंशा के तहत ग्रामीण अंचलों में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए निगरानी समितियों का गठन किया गया है. निगरानी समिति को राजस्व के हर गांव के घरों में कोविड लक्षणों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है. सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है. 


हकीकत कुछ और ही है
निगरानी समितियों को मेडिसिन किट, एंटीजन किट, पल्स ऑक्सीमीटर जैसी चीजें मुहैया कराने की बात कही गई है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. निगरानी समिति के सदस्य परिवारों से मिलकर महज लोगों के नाम उनके मोबाइल नंबर, खांसी, बुखार जैसी बातें ही पूछ रहे हैं. 


मशीन से कोई जांच नहीं की गई
इतना ही नहीं निगरानी समिति की महिला सदस्यों के पास न तो पल्स ऑक्सीमीटर है और ना ही थर्मल स्क्रीनिंग डिवाइस. सिर्फ एक रजिस्टर है जिसपर लोगों के नाम लिखे जा रहे हैं. लापरवाही इस कदर है कि सरकार की तरफ से ग्लब्स तक नहीं दिए गए हैं. ग्रामीणों का भी यही कहना है कि उनका नाम और पता पूछा गया है. मशीन से कोई जांच नहीं की गई है.


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