पटना: बिहार सरकार फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है वहीं संभावित तीसरी लहर को लेकर भी तैयारी भी प्रारंभ कर दी है. स्वास्थ्य विभाग पहली और दूसरी लहर के अनुभवों के आधार पर सभी स्तरों पर तैयारी में जुट गया है. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि जैसी की आशंका व्यक्त की जा रही है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक होगी, इसी आधार पर अस्पतालों में बच्चे मरीजों के लिए खास तैयारी करने की योजना बनाई गई है.


स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि अस्पतालों में 14 साल के बच्चों के इलाज के लिए पूरी तैयारी करने की योजना बनाई जा रही है. जिन अस्पतालों में बच्चों के लिए वार्ड नहीं हैं वहां बच्चों के वार्ड बनाने पर भी विचार किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि इसके लिए अस्पतालों में बेड के साथ आईसीयू और वेंटिलेटर की सुविधा भी बढ़ानी होगी. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत बताते हैं कि कोरोना के संभावित खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग तैयारी कर रहा है. हर स्तर पर संक्रमण को नियंत्रित करने और इलाज की सुविधाएं बढ़ाने के उपाय किए जाएंगें.


मानव बल बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं- मंगल पांडेय


इधर, सरकार ने चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाने की तैयारी प्रारंभ कर दी है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा मानव बल बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव बल बढ़ाने हेतु सरकार प्रयत्नशील है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय से पीजी/डिप्लोमाधारी छात्रों से करार के तहत 3 वर्षीय अनिवार्य सेवा हेतु कुल 1,995 फ्लोटिंग पदों के सृजन की स्वीकृती देकर अग्रेत्तर कार्रवाई की जा रही है.


विभाग के सूत्रों का कहना है कि तीसरी लहर को लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की कवायद में सबसे अधिक जोर ग्रामीण क्षेत्रों में दिया जाएगा. इसके तहत ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों की जर्जर स्थिति को ठीक किया जाएगा और इन अस्पतालों में आइसीयू बेड, वेंटिलेटर, एंबुलेंस, दवा आदि की समुचित व्यवस्था की जाएगी. इससे कोरोना संक्रमण की स्थिति में ग्रामीण इलाके के लोगों को उनके ही नजदीकी अस्पताल में इलाज कराया जा सके और शहरी अस्पतालों के बोझ को कम किया जा सके. सूत्रों का कहना है कि बच्चों का डाटा बेस भी बनाया जा रहा है.


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