देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान BHU से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव वाले दावों को लेकर चर्चाओं का दौर लगातार जारी है . हालांकि कोवैक्सीन को लेकर यह जो दावा किया गया है वह टेलिफोनिक कन्वर्सेशन के आधार पर प्राप्त किए गए डाटा से जुड़ा है. अब ICMR ने BHU वैज्ञानिकों के इस शोध पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और सीधे तौर पर नोटिस भेजते हुए फटकार लगाते हुए जवाब मांगा है. BHU के चिकित्सा संस्थान द्वारा मिली जानकारी के अनुसार अब BHU की तरफ से इस पूरे मामले की जांच के लिए चार सदस्यी टीम गठित कर दी गई है. जांच कमेटी सदस्यों की तरफ से कहा गया है कि अगले 2 से 3 दिनों में इस मामले में उचित जवाब दिया जाएगा.


ICMR की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद जाँच कमेटी गठित
दरअसल बीते हफ्ते BHU के जिरियाट्रिक और फार्मोकोलॉजी विभाग की तरफ से कोवैक्सीन के लोगों पर दुष्प्रभाव के दावे किए गए थे. यह दावा ज़ीरियाट्रिक विभागाअध्यक्ष प्रोफेसर शुभ शंख चक्रवर्ती और फार्मोकोलॉजी विभाग से जुड़ी डॉक्टर उपिंदर कौर की तरफ से किया गया था. बीते वर्षों में टेलिफोनिक कन्वर्सेशन के आधार पर इन लोगों ने यह दावा किया था कि - कोवैक्सीन के प्रभाव से ब्लड क्लॉटिंग, स्ट्रोक और स्वास्थ्य से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती है. ABP live ने जब इस मामले के लिए जांच कमेटी के सदस्यों  से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि - इस मामले पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय पूरी तरह गंभीर और संवेदनशील है . ICMR को जवाब देने के लिए चार  सदस्यों के अंतर्गत एक कमेटी गठित की गई है और इस मामले की जांच की जा रही है. 2-3 दिनों के अंदर इस मामले पर उचित जवाब दिया जाएगा. हालांकि अब जांच कमेटी के रिपोर्ट का इंतजार है कि इस मामले में BHU की तरफ से क्या कुछ जवाब दिया जाता है.


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BHU के वैज्ञानिकों ने बनाई दूरी
BHU वैज्ञानिकों के कोवैक्सीन से जुड़े इस दावे के बाद न केवल देश की चिकित्सा संस्थानों में बल्कि सियासी गलियारों में भी हलचल तेज हो गई. हालांकि इसके बाद जब BHU वैज्ञानिकों से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया. सोशल मीडिया अकाउंट से भी उनकी दूरी नजर आ रही है. अब आईसीएमआर की तरफ से जारी BHU वैज्ञानिकों को नोटिस के बाद यह मामला लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है.