Bharat Jodo Yatra Latest News: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अभी रुकी हुई है, लेकिन तीन जनवरी 2023 को यह यात्रा गाजियाबाद के लोनी से होते हुए वेस्ट यूपी में प्रवेश करेगी और तीन दिन बाद हरियाणा पहुंचेगी. इस बीच खबर यह है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया है. इसके पीछे उन्होंने अपनी व्यस्तता का हवाला दिया है. बसपा सुप्रीमो मायावती और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी की ओर से भी इसमें शामिल नहीं होने के संकेत मिले हैं.


इस रुख के निहितार्थ साफ हैं!
यूपी के इन तीनों नेताओं के रुख को विपक्षी एकता की मुहिम के लिहाज से बड़ा झटका माना जा रहा है. यही वजह है कि अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और बसपा प्रमुख मायावती के इस रुख की चर्चा चरम पर है. इस बात को लेकर सभी के तर्क अलग-अलग हैं लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि यूपी में जिस रूट से यह यात्रा गुजरेगी, उसके पीछे कांग्रेस की खास रणनीति है. अधिकांश लोग इसे वोट बैंक से जोड़कर देख रहे हैं. कुछ लोग इसे कांग्रेस द्वारा अपना आधार मजबूत करने की कवायद मान रहे हैं. अगर ऐसा है तो इसका नुकसान किसका होगा, कांग्रेस किसके वोट बैंक में सेंध लगाएगी. लोग भले ही अलग-अलग तर्क दें, लेकिन इसका निहितार्थ साफ है. 


कांग्रेस को मिले थे इनके वोट सबसे ज्यादा 
अगर लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम पर नजर डालें तो इस क्षेत्र से भले ही कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं जीत सका, लेकिन कांग्रेस को 14 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं ने अपना वोट दिया था. सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक सपा-बसपा गठबंधन को 73 प्रतिशत वोट मिला था.कभी ब्राह्मणों की पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस को इस जाति का मात्र छह प्रतिशत ही वोट मिला. इसी तरह, सपा-बसपा-रालोद गठबंधन जाटों का सात प्रतिशत वोट बटोर सका, जबकि कांग्रेस अकेले दो प्रतिशत ले गई. यानि भारत जोड़ो यात्रा में अगर अखिलेश यादव, मायावती और जयंत चौधरी शामिल होते हैं तो इसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिलना तय है. 


यूपी के इन क्षेत्रों से निकलेगी भारत जोड़ो यात्रा 
अपने पारंपरिक चुनाव क्षेत्र रायबरेली और अमेठी के बजाय राहुल गांधी लोनी, कैराना, कांधला, शामली, बागपत जैसे इलाकों से यात्रा निकालने जा रहे हैं. यह यूपी को वो क्षेत्र है जहां मुस्लिम बड़ी संख्या में रहते हैं. कैराना में  80 तो कांधला में 70 फीसदी आबादी खास समुदाय के मतदाताओं की है. यह वेस्ट यूपी के जाटों का भी प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है. इस क्षेत्र में यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान  सपा ने मुस्लिम, यादव और जाट वोट बैंक का खेल खेला था. बसपा ने मुस्लिम, जाट और दलित का कार्ड खेला था. फिर केंद्र की सरकार बनाने में यूपी की अहमियत कितनी है, ये बताने की जरूरत नहीं है. बस, इतना जान लीजिए कि 2012 विधानसभा चुनाव में 120 में से 70 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे. इनमें सपा के 43, बीएसपी के 13, कांग्रेस के 5 और शेष के खाते में गई थी. इस लिहाज से देखें तो यूपी में कांग्रेस की भारत यात्रा जोड़ो मार्ग का सीधा संबंध वोट से है. 


ये है वेस्ट यूपी में वोट का समीकरण 
पश्चिमी यूपी में करीब 17% जाट हैं और 120 सीटों पर उनका असर है. 45-50 सीटों पर तो जाट सीधा जीत-हार तय करते हैं. वेस्ट यूपी के 11 जिलों में जाट निर्णायक भूमिका में है. 2017 में 13 जाट विधायक चुने गए थे और 12 जाट विधायक बीजेपी के थे. वेस्ट यूपी में मुस्लिम आबादी 32 फीसदी और दलित मतदाता 26 प्रतिशत हैं. करीब वेस्ट यूपी की 120 में से 35 फीसदी सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं. 


राजनीतिक जानकार मानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में यदि मुस्लिम और जाट बहुल वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यात्रा को विपक्ष का साथ मिलने से कांग्रेस का प्रभाव बढ़ सकता है. ऐसा होना सपा, बसपा और रालोद के हित में नहीं है. मामला यहीं तक सीमित नहीं है. आंकड़े देखें तो 2019 का चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए सबसे खराब रहा. अमेठी से राहुल गांधी तक हार गए और सिर्फ रायबरेली सीट संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी जीत सकीं. इस अप्रत्याशित गिरावट के बावजूद यदि कांग्रेस को इस क्षेत्र में सबसे अधिक वोट किसी ने दिए तो वह मुस्लिम वर्ग ही था. 


इसलिए है यूपी में यात्रा अहम 
बता दें कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की अगुआई में भारत जोड़ो यात्रा तीन जनवरी को गाजियाबाद के लोनी से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर बागपत-शामली होते हुए हरियाणा पहुंचेगी. यूपी में तीन दिन और 130 किलोमीटर दूरी तय करेगी. यूपी से सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटें हैं. इसके अलावा, गांधी परिवार की राजनीतिक भूमि भी उत्तर प्रदेश ही है.


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