उत्तर प्रदेश के बस्ती  से एक चौंकाने वाला मामला सामने है, जिसने जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है. यहां के कप्तानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में घंटों तक बिजली गुल रही और मरीजों को इलाज के लिए मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में गुजर-बसर करना पड़ा. यह घटना न केवल अस्पताल की लचर व्यवस्था को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि आखिर सरकार के स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे कितने सच्चे हैं.

जानकारी के मुताबिक सोमवार शाम को कप्तानगंज CHC में बिजली गुल हो गई, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने जनरेटर चलवाना उचित नहीं समझा. इससे पूरा अस्पताल घने अंधेरे में डूब गया. इसी दौरान एक सड़क हादसे में घायल मरीज को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया. बिजली न होने के कारण डॉक्टर और कंपाउंडर को मोबाइल फोन की रोशनी में इलाज करने पर मजबूर होना पड़ा. मरीज के परिजनों ने अपने मोबाइल के टॉर्च जलाकर रोशनी की, ताकि डॉक्टर मरहम-पट्टी और अन्य प्राथमिक उपचार कर सकें.

गंभीर सवाल और अस्पताल की लचर व्यवस्था

यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों ऐसे महत्वपूर्ण अस्पताल में बिजली जाते ही जनरेटर काम नहीं कर रहा था? क्या अस्पताल प्रशासन के पास बैकअप पावर का कोई इंतजाम नहीं है? या अगर है भी, तो वह क्यों निष्क्रिय पड़ा था? मरीजों की जान की परवाह किए बिना, अस्पताल की यह लापरवाही उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसी है.

घायल युवक के परिजनों ने बताया कि घंटों तक अस्पताल में लाइट नहीं थी, पूरा अस्पताल अंधेरे में डूबा था. किसी तरह से मोबाइल की रोशनी में डॉक्टर ने इलाज किया. अस्पताल की घटिया व्यवस्था को हमने जमकर कोसा.

सीएमओ बोले कार्रवाई होगी

सीएमओ राजीव निगम ने इस प्रकरण को लेकर कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है. लाइट जाने पर जनरेटर चलाया जाना चाहिए था, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. पूरे मामले की जांच टीम से कराई जाएगी और दोषी बख्शे नहीं जाएंगे. सीएमओ कितना भी दावे करें लेकिन सरकारी अस्पतालों की हकीकत नहीं बदल पा रही.