सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बीच यूपी के बागपत में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां रेबीज के संक्रमण ने 60 वर्षीय बुजुर्ग रामफल की जान ले ली. 15 दिन पहले छपरौली थाना क्षेत्र के लूंब गांव में एक स्ट्रीट डॉग ने रामफल को काट लिया था. उन्होंने इस घटना को हल्के में लिया और रेबीज का टीका नहीं लगवाया, जिसके चलते उनके शरीर में संक्रमण फैल गया और उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई.
मौत के बाद पूरे गांव में दहशत फ़ैल गयी है, क्यूंकि रेबीज होने का खतरा उनके परिवार और सम्पर्क वालों में बढ़ गया है.
घाव को हलके में लिया था
स्थानीय लोगों के मुताबिक लूंब गांव निवासी रामफल को 15 दिन पहले उनके घर के बाहर गली में एक आवारा कुत्ते ने पैर में काट लिया था. जख्म को मामूली समझकर उन्होंने गांव में ही सामान्य उपचार करवाया. लेकिन रेबीज का संक्रमण धीरे-धीरे उनके शरीर में फैलने लगा, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई. परिवार ने उन्हें शामली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन गंभीर संक्रमण के कारण चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी जान नहीं बच सकी. इसके बाद परिवार ने गांव में उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया.
डॉक्टर और विशेषज्ञों की सलाह
छपरौली सीएचसी अधीक्षक डॉ. कुमार अभिषेक ने बताया कि कुत्ता, बिल्ली, बंदर या किसी अन्य जानवर के काटने के बाद घाव को तुरंत साबुन और साफ पानी से धोना चाहिए. इसके बाद बिना देरी किए एंटी-रेबीज टीका लगवाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि समय पर टीकाकरण से रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी को रोका जा सकता है. गांव के लोगों ने भी माना कि यदि रामफल ने समय पर रेबीज का इंजेक्शन लगवाया होता, तो शायद उनकी जान बच सकती थी.
रेबीज से बचाव क्यों है जरूरी?
रेबीज एक घातक वायरल संक्रमण है, जो जानवरों के काटने से फैलता है. समय पर इलाज न होने पर यह 100% जानलेवा साबित हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और जागरूकता की कमी इस तरह की घटनाओं का प्रमुख कारण है.