Independence Day 2022: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लोक मणि शर्मा का जन्म सन 1916 में तहसील मांट के गांव पचरा में हुआ था. उन्होंने आजादी की लड़ाई में 15 वर्ष की आयु से ही बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. वह 1931 से 1940 तक के आंदोलनों में शामिल भी रहे. उनको 1941 में 1 वर्ष की कैद हुई और 50 रुपये का जुर्माना भी हुआ. वह मथुरा जेल से 6 महीने 3 दिन बाद रिहा किए गए. 1942 में लोक मणि शर्मा 6 माह तक भूमिगत रहे और क्रांति में भाग लिए.

उनका राजनीतिक सफर

आजादी के बाद उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ और वह 15 वर्ष तक गांव के प्रधान रहे फिर सरपंच रहे. उसके बाद वे ब्लॉक प्रमुख हुए और फिर विधायक बने. वे जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बेटे पंडित श्याम सुंदर शर्मा ने संभाला और उसके बाद वह मांट विधानसभा से 8 बार विधायक भी रहे. उनका देहांत सन  23 जनवरी 1999  को हुआ.

उनके नाम से कॉलेज चलते हैं

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय पंडित श्री लोकमणि शर्मा को उनकी पत्नी स्वर्गीय बादामी देवी का भी बड़ा सहयोग मिला. जब वह पुलिस से छुपते थे तो वह उनके और उनके साथियों के लिए खाना बना कर जंगल में ले जाया करती थी. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लोकमणी शर्मा जी के नाम से मांट विधानसभा में ही जिले का इकलौता सरकारी डिग्री कॉलेज भी है.

उनके नाम से मथुरा में ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों में भी लगभग एक दर्जन कॉलेज और डिग्री कॉलेज उनके नाम से आज भी चल रहे हैं.

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