रामनवमी के शुभ अवसर पर अयोध्या पूरी तरह भक्ति के रंग में रंगी नजर आई. लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से अयोध्या पहुंचे और रामलला के दर्शन से पहले सरयू नदी में आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि सरयू में स्नान करके शुद्ध होकर रामलला के दर्शन करना पुण्य का काम होता है.
एबीपी न्यूज़ की टीम ने सरयू घाट से ताज़ा तस्वीरें और श्रद्धालुओं से खास बातचीत के ज़रिए वो भावनाएं सामने लाई जो हर भक्त के दिल में थीं. हर कोई बस यही कहता नजर आया— “रामलला के दर्शन से पहले सरयू स्नान जरूरी है, तभी अयोध्या यात्रा सफल मानी जाती है.”
सरयू के प्रमुख घाटों पर प्रशासन ने पहले से पुख्ता इंतजाम किए थे. घाटों की सफाई, सुरक्षा के लिए लाइफ जैकेट पहने गार्ड, मेडिकल स्टॉल और महिला हेल्प डेस्क जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं. कई घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी स्टॉल लगाए गए थे, जहां राम नाम के चोले, तिलक, चंदन और धार्मिक वस्तुएं बिक रही थीं.
भक्तों ने स्नान के बाद माथे पर ‘जय श्री राम’ लिखवाया और रामलला के दर्शन की तैयारी में जुट गए. एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने बताया, “पिछले कई वर्षों से रामनवमी पर आने की इच्छा थी, लेकिन इस बार मौका मिला. सरयू स्नान करके मन को शांति मिली. अब रामलला के दर्शन बाकी हैं.”
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घाट पर मौजूद लोगों के चेहरे पर खास चमक और खुशी दिखाई दी. हर कोई राम नाम का जाप करता नजर आया. “जय श्री राम” के नारे गूंजते रहे और पूरा माहौल भक्तिमय हो गया.
सरयू नदी का विशेष महत्व है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यही वह पवित्र नदी है जो भगवान राम के समय से जुड़ी हुई है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम इसी नदी के किनारे बाल्यकाल में खेला करते थे और अंत में यहीं जल समाधि भी ली थी.
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद से सरयू के घाटों पर श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ी है. रामनवमी जैसे पर्वों पर यहां आकर लोग अपने जीवन को धन्य मानते हैं.
इस बार का आयोजन और व्यवस्थाएं देखकर श्रद्धालु प्रशासन की सराहना करते नजर आए. उन्होंने कहा, “भीड़ ज़रूर है, लेकिन व्यवस्था इतनी अच्छी है कि कहीं कोई परेशानी नहीं हो रही. सब कुछ शांति से हो रहा है.”