वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के 33 साल बाद, धन्नीपुर गांव में नयी मस्जिद परियोजना के लिए संभावित समय सीमा अप्रैल 2026 हो सकती है. इस परियोजना का काम देख रहे ट्रस्ट के प्रमुख ने यह जानकारी दी.
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा कि यदि सब कुछ ठीक रहा और अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) मस्जिद के संशोधित ले आउट प्लान को मंजूरी दे देता है, तो मस्जिद परियोजना के लिए संभावित समय सीमा अप्रैल 2026 हो सकती है. मस्जिद के संशोधित ले आउट प्लान को वे दिसंबर के अंत तक जमा करने की उम्मीद कर रहे हैं.
मस्जिद परियोजना में अनिश्चितताएं और भूमि आवंटन
मस्जिद परियोजना के आसपास के विवादों और आरोप-प्रत्यारोप के बावजूद, पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मूल मस्जिद योजना के बारे में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. अयोध्या जिला प्रशासन ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर इसके लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की थी. फारूकी ने कहा कि मस्जिद का पहला ले आउट प्लान एडीए द्वारा खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके पहले आईआईसीएफ ने समुदाय के विरोध के कारण इसे छोड़ दिया और एक अधिक पारंपरिक डिजाइन को अपनाया.
निर्माण की चुनौती और चरणबद्ध योजना
एडीए की मंजूरी मस्जिद निर्माण के लिए पहला महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन आईआईसीएफ के सामने अन्य दबावपूर्ण मुद्दे भी हैं, जिनमें धन्नीपुर स्थल पर पर्याप्त जमीन की कमी शामिल है. फारूकी ने कहा कि शुरुआती दिन हैं और यदि मस्जिद परियोजना के लिए अतिरिक्त जमीन हासिल करने में समस्या आती है, तो परियोजना को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की संभावना है. यह परियोजना विभिन्न स्थानों पर चरणबद्ध तरीके से पूरा होने की संभावना रखती है.
मस्जिद निर्माण की लागत और वित्तीय चुनौतियां
फारूकी ने कहा कि मस्जिद परियोजना की तुलना राम मंदिर के निर्माण से करना गलत है. उन्होंने अनुमान लगाया कि मस्जिद, 'वज़ूखाना' और उससे जुड़े निर्माण पर अकेले करीब 65 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि उनके पास अभी मुश्किल से तीन करोड़ रुपये से कुछ ज़्यादा हैं. उन्होंने माना कि मस्जिद परियोजना के लिए दान और लोगों की प्रतिक्रिया अभी बहुत कम है.