अलीगढ़ः उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने सूफीवाद और इस्लामिक दर्शन शास्त्र के सेंटर की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव केंद्र सरकार और यूजीसी को भेजा है. इस प्रस्ताव में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतर धार्मिक आयोजन, अध्ययन और सवालों के लिए एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से सूफीवाद और इस्लामी दर्शनशास्त्र के एक केंद्र को एएमयू में स्थापित करने को जरूरी बताया है. इस प्रस्ताव के तहत करीब पांच करोड़ की राशि स्वीकृत करने की मांग की गई है. यह प्रस्ताव दर्शनशास्त्र विभाग के चेयरमैन प्रोफेसर लतीफ हुसैन शाह काजमी की तरफ से भेजा गया है.

सूफीवाद और इस्लामिक दर्शन शास्त्र के सेंटर की होगी स्थापना

चेयरमैन प्रोफेसर लतीफ शाह काजमी ने बताया कि सूफीवाद और इस्लामिक दर्शनशास्त्र का यह सेंटर एएमयू के अंदर कायम किया जा रहा है. इस सेंटर को कायम करने का मकसद है कि, हिंदुस्तान में जितने भी मजहब के लोग रहते हैं सूफीवाद उन सब को लेकर आगे चलने की बात करता है. इस्लामिक दर्शन एक ऐसा अनुशासन है, उसमें हम कोशिश करते हैं कि इस्लाम के नजरिए को हम किस तरह से दूसरे लोगों को साथ रखने की बात करता है.

काजमी का कहना है कि सूफी ट्रेडीशन का उनका मकसद है. हिंदुस्तान में खासतौर से बहुत से किस्म के लोग रहते हैं. पूरे हिंदुस्तान में सूफीवाद और इस्लामिक दर्शनशास्त्र सेंटर की तरह का कोई डिपार्टमेंट नहीं है जो तीनों स्ट्रीम को लेकर चलता है. इंडियन दर्शन, इस्लामिक दर्शन और वेस्टर्न दर्शन शास्त्र तीनों स्ट्रीम में पढ़ाई होती है. जिसमें बीए, एमए और पीएचडी भी कराई जाती है. किसी भी धर्म का अन्य धर्मों संबंध उसमें रिसर्च बच्चों को कराई जाती है.

हिंदुस्तान में फैली नफरत को कम करना है उद्देश्य

चेयरमैन प्रोफेसर लतीफ शाह काजमी ने कहा कि इस सेंटर को काम करने का मकसद यह है कि हिंदुस्तान में जितनी नफरत इस समय फैली हुई है और लोग एक दूसरे के जानी दुश्मन बने हुए हैं और यह सूफी ट्रेडीशन हमको एक जगह लाकर हिंदुस्तान की तरक्की में उनके लोगों को एक दिशा देने में आगे बढ़ाएगा और जिसमें हम यह कोशिश करते हैं कि जो हमारे यहां जितने भी पुराने संत हुए हैं उन सब को एक जगह करके उनके ऊपर रिसर्च कराई जाए.

उनका कहना है कि केंद्र को आगे बढ़ाने में यूनिवर्सिटी प्रशासन यूजीसी और केंद्र सरकार हमें मदद करेगी. हमें उम्मीद है कि जो भी सभी धर्मों के स्कॉलर आएंगे और यहां पर रिसर्च करेंगे. केंद्र में सूफीवाद, रहस्यवाद और भक्ति आंदोलन आदि पर अंतर विश्वास संवाद सेमिनार सम्मेलन और विस्तार व्याख्यान आयोजित करने की भी योजना है.

योजना के अनुसार यह सेंटर शास्त्रीय मध्यकालीन और आधुनिक ढांचे पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसे विज्ञान और आधुनिक सामाजिक वैज्ञानिक अध्ययन के साथ एक क्षेत्रीय ढांचे में संस्कृत करने की आवश्यकता है. केंद्र डिप्लोमा के साथ-साथ स्नातक, परास्नातक और पीएचडी भी कराएगा.

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