Aligarh Muslim University: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी (Maulana Azad Library) ऐतिहासिक लाइब्रेरी में से एक है. यहां पर 14 लाख से ज्यादा पुस्तकें हैं, जिसमें कई ऐतिहासिक दुर्लभ पांडुलिपि व पुस्तकें रखी हुई हैं. इस लाइब्रेरी को एशिया की सबसे बेहतरीन लाइब्रेरी में शुमार किया जाता है. एएमयू के छात्र इस लाइब्रेरी से उन किताबों को पढ़ते हैं उसका फायदा लेते हैं. आईए आपको बताते हैं कि इस लाइब्रेरी इतिहास से जुड़ी क्या-क्या दुर्लभ प्रतियां शामिल हैं.

  

एशिया की सबसे बेहतरीन लाइब्रेरी 

 

एएमयू के पीआरओ उमर पीरज़ादा ने बताया कि सात मंजिला मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी में 14 लाख से ज्यादा पुस्तकें हैं, जो एशिया की बेहतरीन लाइब्रेरी में शुमार है. लाइब्रेरी की बुनियाद वर्ष 1877 में वायसराव लॉर्ड लिटन ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कालेज की स्थापना के समय रखी गई थी. जिसका नाम लिटन लाइब्रेरी रखा गया था. साल 1960 में इस सात मंजिला लाइब्रेरी का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. जिसके बाद इसका नाम बदलकर शिक्षाविद व स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम पर मौलाना आजाद लाइब्रेरी रखा गया. 

 

एतिहासिक और दुर्लभ पांडुलिपियों का खजाना

 

एएमयू की लाइब्रेरी में उर्दू, फारसी, संस्कृत और अरबी भाषाओं में दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों का विश्व प्रसिद्ध भंडार है. इनमें इस्लाम, हिंदू धर्म आदि पर 16,117 दुर्लभ और अमूल्य पांडुलिपियां हैं. लाइब्रेरी में कुरान की एक प्रति 1400 वर्ष से अधिक पुरानी है. जो पैगम्बर-ए-इस्लाम मोहम्मद साहब के दामाद हज़रत अली द्वारा लिखित पवित्र कुरान का एक टुकड़ा है, ये कुफी लिपि में चर्मपत्र पर लिखा गया है. इसके अलावा यहां की लाइब्रेरी में बाबर, अकबर, शाहजहां, शाह आलम, औरंगजेब आदि जैसे मुगल बादशाहों के कई फरमान हैं. लाइब्रेरी में अबुल फैज फैली द्वारा श्रीमद् भगवत गीता का फारसी अनुवाद है. इसके अलावा ताड़ के पत्तों पर लिखी गई तेलुगु और मलयालम पांडुलिपियां भी यहां पर सहेज कर रखी गई हैं.