Amroha News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अमरोहा (Amroha) के मंडी धनोरा तहसील क्षेत्र में ढाई सौ परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडराने लगा है. 45 साल से जिस भूमि पर ग्रामीण रहकर अपना गुजर-बसर कर रहे थे उस खेती और घर की जमीन को चकबंदी विभाग ने झील के रूप में दर्ज कर दी है. इससे अब ढाई सौ परिवारों का चैन सुकून गायब हो गया है हालांकि इस मामले में कई किसान संगठन जिला प्रशासन का विरोध भी कर रहे हैं. 

चकबंदी विभाग की इस कार्रवाई से 250 परिवार भूमि से बेदखल होने की चिंता में डूबे हुए हैं उनका हक दिलाने के लिए भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता आगे आए हैं. कब्जेदारों का कहना है कि वह भूमि का 1978 से लगान जमा करते आ रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?दरअसल, अमरोहा की धनोरा तहसील के आजमपुर गांव में कई सौ बीघा जमीन खेती को चकबंदी विभाग ने झील में दर्ज किया है जिसके बाद ग्रामीण एकत्रित होकर एसडीएम कार्यालय पहुंचे और महिलाएं अपने हाथ में कटोरा लेकर पहुंची और जमकर विरोध प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि अब हमारी खेत और मकान की जमीन ही चली जाएगी तो हमारे पास सिर्फ हाथों में कटोरा रह जाएगा. 

गांव वालों ने कहा कि हमारे पास परिवार के साथ आत्महत्या करने की मजबूरी होगी क्योंकि हम यहां 1978 से लेकर खेती किसानी कर रहे हैं. 1978 में जिन लोगों को पट्टे आवंटित हुए थे तभी से लगान जमा कर रहे हैं लेकिन अचानक इस आफत ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है.

गांव के लोगों ने कागजात भी दिखाए जो उन्हें पट्टा आवंटित करते समय दिए गए थे और लगान की किस्तें भी दिखाई लेकिन अब ढाई सौ परिवार संकट के साए में जीने को मजबूर हो रहे हैं. अभी तक कोई ठोस कदम किसानों के हित में नहीं उठाया गया है. बीजेपी विधायक राजीव तरारा ने बताया कि वह इस पूरे मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराएंगे और जिन लोगों की लापरवाही हुई है उनकी जांच कराकर कठोर कार्रवाई कराई जाएगी.

इस पूरे मामले में एसओसी ने बताया कि धनोरा तहसील के आजमपुर गांव की एक समस्या सामने आई है. चकबंदी विभाग में काफी अनियमितताएं पाई गई हैं जिसमें घर बेघर भी हो रहे हैं और रकबे में भी काफी समस्या पाई गई हैं. मैं खुद जाकर इस मामले को लेकर बैठक करूंगा.

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