नई दिल्ली, एबीपी गंगा। Amethi Election Results 2019: कांग्रेस की विरासत सीट, गांधी परिवार का गढ़...अमेठी, अब राहुल का नहीं रहा। अमेठी की जनता ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को नकारते हुए बीजेपी नेता स्मृति ईरानी पर भरोसा जताया है। स्मृति ईरानी की इस ऐतिहासिक जीत की हर तरफ चर्चाएं हो रही हैं। लगातार तीन बार से अमेठी के जरिए संसद का रास्ता तय करने वाले राहुल गांधी के लिए ये हार किसी बड़े झटके से कम नहीं। 2019 लोकसभा चुनाव में अमेठी ने सियासत की नई तारीख लिख दी है, जिसे हर पीढ़ी याद करेगी। अमेठी के सियासी इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य हारा है।


23 मई को मतगणना के दौरान शुरुआती से ही स्मृति ईरानी, राहुल गांधी पर बढ़त बनाए हुए थीं। शाम होते होते तस्वीर लगभग साफ हो गई थी, कि बीजेपी इस 'मर्दानी' ने अमेठी राहुल से छीन लिया है। स्मृति ने शायद कभी सोचा भी नहीं होता कि रील लाइफ में उनपर फिल्माया गाना...'रिश्तों के भी रूप बदलते हैं,नए-नए सांचे में ढलते हैं। एक पीढ़ी आती है एक पीढ़ी जाती है...बनती कहानी नई...' उनकी रियल लाइफ में बिल्कुल सटीक और सही साबित होगा। इसी ऐतिहासिक जीत के साथ स्मृति ईरानी ने सवर्ण अक्षकों में सियासत के पन्नों पर नया इतिहास लिख दिया है।


 स्मृति ने 55120 वोटों से राहुल को हराया


अमेठी लोकसभा सीट पर मतों की गिनती 24 मई की सुबह खत्म हुई, लेकिन अमेठी कौन जीत रहा है, ये कल शाम तक ही स्पष्ट हो गया था। जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल ने खुद अपनी हार स्वीकारते हुए स्मृति ईरानी को बधाई दी। बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने 55120 वोटों से राहुल गांधी को हराया। स्मृति ईरानी को  468514 वोटों से  जीत दर्ज की, जबकि राहुल 413394 वोट हासिल कर सके। करीब 55120 मतों के अंतर से स्मृति ईरानी में अमेठी में अपनी जीत का परचम लहराया।



अमेठी हारे, वायनाड ने रखी लाज


देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार तीन बार से अमेठी जीतकर संसद का पटल पर पहुंचे हैं। हालांकि, इस बार राहुल गांधी ने अमेठी के अलावा केरल की वायनाड लोकसभा सीट से भी लड़ रहे था। हालांकि, दक्षिण की इस सीट से राहुल की लाज रखी और उन्हें भारी मतों से जिताया। लेकिन राहुल की इस सीट से ज्यादा अमेठी की हार की चर्चा हो रही है। कारण भी है राहुल इसी सीट से जीतकर पहली बार सांसद बने। अमेठी और गांधी परिवार का नाम एक दूसरे से ऐसे जुड़ा हुआ था, कि जब भी एक का नाम लिया जाए, दूसरे का नाम खुद बा खुद निकल जाता है।



अमेठी हारने और स्मृति की जीत पर क्या बोले राहुल 


राहुल गांधी ने अमेठी से अपनी हार स्वीकार करते हुए स्मृति ईरानी को बधाई दी। उन्होंने कहा, 'मैं अमेठी के नतीजे पर कहना चाहूंगा कि स्मृति ईरानी जी जीती हैं, उन्हें मैं बधाई देता हूं। अमेठी की जनता ने अपना फैसला दिया है, मैं उस फैसले का सम्मान करता हूं। यह लोकतंत्र है। मैं चाहता हूं कि स्मृति ईरानी जी प्यार से अमेठी की जनता की देखभाल करें और जो भरोसा अमेठी की जनता ने उन पर जताया है, उसे वो पूरा करें।'


अमेठी में दूसरी बार हारा गांधी परिवार का कोई सदस्य


ये भी ऐतिहासिक है कि अमेठी की दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब गांधी परिवार का कोई सदस्य हारा है। 1967 से अमेठी में लोकसभा चुनाव होते आए हैं। तब से अब तक 11 बार ये सीट कांग्रेस के कब्जे में रही। इस सीट से जीतकर संजय गांधी एक, राजीव गांधी तीन, सोनिया एक और राहुल गांधी तीन बार चुनाव जीतकर संसद के पटल पर पहुंचे। अमेठी से हारने वाले राहुल, गांधी परिवार के पहले सदस्य नहीं है। राहुल से पहले 1977 के चुनाव में संजय गांधी यहां भारतीय लोक दल के कैंडिडेट रवींद्र प्रताप सिंह से हार गए थे।



2014 के नतीजे




  • राहुल गांधी अमेठी से लगातार तीन बार से अमेठी से सांसद हैं।

  • लोकसभा चुनाव 2014 में राहुल गांधी को 408,651 वोट मिले थे।

  • जबकि बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी को 300,74 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रही थीं।

  • 2009 में राहुल की जीत अंतर 3,50,000 से भी ज्यादा का रहा था।


2004 से लगातार अमेठी से जीतते रहे हैं राहुल


राहुल गांधी 2004 से लगातार इस सीट पर जीत का परचम लहराते आए हैं, लेकिन 2014 में बीजेपी ने राहुल के खिलाफ यहां से स्मृति ईरानी पर दांव चला। पिछले चुनाव से ही अमेठी की मुबाकाल रोमांचक बना हुआ है। 2014 में स्मृति राहुल को हारकर अमेठी जीत तो न सकीं, लेकिन हार-जीत का ये अंदर बेहद कम रहा। 2014 में राहुल की जीत का अंतर घटकर करीब 1 लाख 7 हजार वोट पहुंच गया था। वहीं, 2014 में आम आदमी पार्टी की ओर से कवि कुमार विश्वास भी मैदान में उतरे थे, लेकिन वो कोई खास चुनौती नहीं पेश कर सके और चौथे पायदान पर रहे।


अमेठी की सियासत




  • इस सीट पर अभी तक 16 लोकसभा चुनाव और 2 उपचुनाव हुए हैं।

  • इनमें से कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की है।

  • वहीं, 1977 में लोकदल और 1998 में बीजेपी को जीत मिली है।

  • बसपा और सपा अभी तक इस सीट पर अपना खाता नहीं खोल सके हैं।


सोनिया के बाद राहुल ने अमेठी से शुरू की सियासी पारी


राजीव गांधी की हत्या के बाद जब सोनिया गांधी ने राजनीति में कदम रखा तो उन्होंने 1999 में अमेठी को अपनी कर्मभूमि बनाया। अमेठी जीतकर पहली बार सोनिया संसद पहुंचीं। हालांकि, 2004 के चुनाव में सोनिया ने ये सीट अपने बेटे राहुल गांधी के लिए छोड़ दी। 2004 में राहुल भी अमेठी जीतकर पहली बार संसद पहुंचे।