UP News: अमेठी जिला अस्पताल (Amethi District Hospital) में कमीशनखोरी के खेल पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. अस्पताल में तैनात चिकित्सक मनमाने तरीके से महंगी दवाइयां लिख रहे हैं जिससे दूरदराज इलाकों से आने वाले बेबस और गरीब मरीज बाहर से इन दवाइयों को खरीदने के लिए मजबूर हैं. आपातकालीन कक्ष (Emergency Ward) इस खेल का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है. यहां दुर्घटना और गंभीर बीमारी से पीड़ित पहुंचने वाले मरीजों को तत्काल दवा उपलब्ध कराने के बजाय परिजनों को दवा और अन्य सामग्री लाने के लिए बाहर भेज दिया जाता है.

अस्पताल में बैठने की नहीं है जगह

जिला अस्पताल में बैठने की जगह न होने के कारण बड़ी संख्या में मरीज और तीमारदार फर्श पर बैठे रहते हैं. अमेठी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से सांसद हैं और समय-समय पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर रखने के लिए डॉक्टरों को सख्त हिदायत भी देती रहती हैं. इसके साथ ही प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह अमेठी के ही रहने वाले हैं उसके बावजूद अस्पताल में तैनात डॉक्टर अपनी मनमानी करने में जुटे हुए हैं. सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज के साथ-साथ जांच और दवा उपलब्ध करने का दावा तो किया जाता है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही है. यही नहीं कम दाम पर बेहतर दवा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित जन औषधि केंद्र भी कमीशन के आगे बेकार साबित हो रहा है. जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीज जब एक रुपये की पर्ची लेकर चिकित्सक के पास जाते हैं तो चिकित्सक जांच बाहर से कराने को कहते हैं और बाहर मेडिकल स्टोरों पर मिलने वाली कमीशन की दवाओं के लिए एक छोटी पर्ची जरूर लिखते हैं.

Fatehpur Crime: फतेहपुर पुलिस ने 13 से अधिक मामलों में आरोपी बदमाश को मुठभेड़ में दबोचा, दो फरार

पैसा न होने के कारण दवा नहीं खरीद पाया परिवार

जिला अस्पताल से करीब 80 किलोमीटर दूर से आई महिलाओं का आरोप है उन्हें मंहगी दवाएं बाहर से लिखी गई लेकिन पैसा न होने के कारण उन्होंने पूरी दवाएं नहीं ली. सबसे बड़ी बात तो यह है कि शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा कार्रवाई और सख्त कदम उठाने का आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लेता है. वहीं जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टरों द्वारा लिखी जा रही दवाइयों को लेकर मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि करीब-करीब सभी डॉक्टरों के पर्चे हमारे मेडिकल स्टोर पर आते हैं. वही ज़िला अस्पताल के कक्ष का हाल तो यह है कि मरीजों और परिजनों को पता ही नहीं चलता कि यहां कौन मेडिकल स्टाफ है और कौन डॉक्टर. ऐसी स्थिति में परिजन मरीजों के इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं. पूरे मामले में सीएमएस डॉ. बद्री प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि अस्पताल में सभी दवा उपलब्ध रहती है. यही नहीं समय-समय पर इसकी जांच भी की जाती है. इसके बाद भी तैनात डॉक्टरों द्वारा इस तरह का कार्य किया जा रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें -

'12 सेकेंड तक लाने में लगे 8 महीने', ट्विन टावर गिराने वाली कंपनी के CEO बोले- यह परफेक्ट इंजीनियरिंग का नमूना