UP Former Minister Amarmani Tripathi Case: यूपी के पूर्व मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्तियां कुर्क किए जाने के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई अमरमणि त्रिपाठी की अर्जी को खारिज कर किया है. हाईकोर्ट ने अमरमणि के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है. अमरमणि को अब बस्ती की जिला अदालत में सरेंडर करना होगा. सरेंडर के बाद जमानत पर बस्ती की जिला कोर्ट ही फैसला लेगी. हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बाद अमरमणि पर गिरफ्तारी का खतरा फिर से लटकने लगा है.


अदालत ने अमरमणि त्रिपाठी की याचिका को खारिज करने के आदेश में उसके खिलाफ दर्ज 36 आपराधिक मुकदमों को भी आधार बनाया है. यूपी सरकार ने दो दिन पहले ही अमरमणि त्रिपाठी की क्रिमिनल हिस्ट्री कोर्ट में पेश की थी. यूपी सरकार की तरफ से जो क्रिमिनल हिस्ट्री पेश की गई थी, उनमें 36 मुकदमों का डिटेल्स दिया गया था. अमरमणि त्रिपाठी की अर्जी पर सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 20 मार्च को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच से आज इस मामले में अपना फैसला सुनाया है. 


बस्ती कोर्ट ने दिया था ये आदेश


गौरतलब है कि बस्ती की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी को पिछले दिनों फरार घोषित किया था. कोर्ट ने यूपी के डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह से उनकी संपत्तियों को जल्द से जल्द कुर्क करने का भी आदेश दिया था. बस्ती की सेशन कोर्ट ने संपत्तियों को कुर्क किए जाने के आदेश पर अमल नहीं किए जाने पर नाराजगी भी जताई थी. बस्ती की स्पेशल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अमरमणि त्रिपाठी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.


बस्ती अपहरण केस से जुड़ा है तार 


 यह मामला बस्ती जिले में साल 2001 में व्यापारी के बेटे के अपहरण से जुड़ा हुआ है. 6 दिसंबर 2001 को बस्ती के व्यापारी धर्मराज मद्धेशिया के बेटे राहुल का अपहरण हो गया था. पुलिस ने व्यापारी के बेटे को लखनऊ में अमरमणि त्रिपाठी के घर से बरामद किया था. इस मामले में अमरमणि समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था. अमरमणि त्रिपाठी कवियित्री मधुमिता शुक्ला मर्डर केस में जेल से छूटने के बाद भी इस मामले में कोर्ट में पेश नहीं हुए थे. निचली अदालत ने उन्हें फरार घोषित कर संपत्तियां कुर्क करने का आदेश दिया था. अमरमणि की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल अर्जी में निचली अदालत के कुर्की के आदेश पर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी.


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