Shri Krishna Janmbhoomi: मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं की पोषणीयता पर आज एक बार फिर सुनवाई होगी. आज की सुनवाई भी जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में ही होगी. उम्मीद जताई जा रही है कि पोषणीयता के बिंदु पर चल रही सुनवाई आज पूरी हो सकती है. जिसके बाद कोर्ट अपना जजमेंट रिजर्व कर सकती है. सुनवाई के लिहाज से आज का दिन बेहद अहम है.


इस मामले में आज सबसे पहले हिंदू पक्ष बची हुई दलीलें पेश करेगा. हिंदू पक्ष की ओर से अदालत में सिविल वाद को बताया जाएगा. दलील दी जा रही है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद का अवैध कब्जा चला आ रहा है. जमीन पर मस्जिद पक्ष का कोई विधिक अधिकार नहीं है. 1669 से यहां लगातार चली आ रही नमाज, हिन्दू श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट है.


हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में रखी ये दलीलें
हिंदू पक्ष की दलील है कि मंदिर तोड़कर उसी जगह पर शाही ईदगाह मस्जिद बनाईं गई थी. वक्फ बोर्ड ने बिना स्वामित्व के ही इसे वक्फ संपत्ति घोषित किया है. क्या प्रक्रिया अपनाई गई इसका कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. एएसआई ने इसे नजूल भूमि कहा है, इसलिए इसे वक्फ संपत्ति नहीं घोषित कर सकते हैं. संपत्ति पर विरोधी पक्ष को कोई हक नहीं है. 


हिंदू पक्ष ने दावा किया कि विवादित स्थल ऐतिहासिक धरोहर घोषित है. राष्ट्रीय महत्व की है, वाद भी राष्ट्रीय महत्व का होगा. संरक्षित क्षेत्र में किसी को केंद्र सरकार की अनुमति बगैर किसी प्रकार का निर्माण करने का अधिकार नहीं है. दो पक्षों में इससे पहले हुए समझौते का संपत्ति अधिकार से कोई सरोकार नहीं है. समझौता संपत्ति के स्वामी के साथ नहीं किया गया है, इसलिए समझौते का कोई मतलब नहीं है. योगिनी माता मंदिर स्थल पर शाही ईदगाह मस्जिद है.


कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने कहा है कि ये भवन वास्तव में मस्जिद नहीं है. 15 वीं सदी में मस्जिद का ऐसा स्ट्रक्चर नहीं होता था. हिंदू मंदिर पर कब्जा कर मस्जिद का रूप दिया गया. बज्रनाभ भगवान कृष्ण के प्रपौत्र ने मंदिर बनवाया. चार बीघा जमीन में मंदिर केशव देव‌ मंदिर बनावाया. पहले यहां परिक्रमा होती थी, मंदिर ध्वस्त किया गया. विष्णु पुराण कहता है कृष्ण के जाने के बाद कलियुग शुरू हुआ.


अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट सीधे तौर पर सुनवाई कर रहा है. हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई 18 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है. मुस्लिम पक्ष ने इन याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की अपील की है. अदालत में अभी मुकदमों की पोषणीयता पर ही बहस चल रही है. मुस्लिम पक्ष ने ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की मांग की है.


मुस्लिम पक्ष ने मुख्य रूप से प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की मांग की है.