Gyanvapi ASI Survey Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे कराये जाने के मामले में सुनवाई शुरू हो गई है. आज बुधवार सुबह 9.30 बजे से चीफ जस्टिस कोर्ट में चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच में सुनवाई हो रही है. इस दौरान मुस्लिम और हिन्दू पक्ष दोनों अपनी-्अपनी दलीलें कोर्ट में पेश कर रहे हैं. मुस्लिम पक्ष के वकील ने पहले अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट के सामने कुछ दस्तावेज रखे हैं जिस पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने आपत्ति दर्ज करवाई है. 


मुस्लिम पक्ष के वकीलों की दलील है कि निचली अदालत ने बिना तथ्यों को देखे वह जल्दबाजी में सर्वे का आदेश दे दिया. हिंदू महिलाओं ने कोर्ट ने कहा कि उनके पास कोई सबूत नहीं है, लिहाजा एएसआई को निर्देश दिया जाए कि वह सबूत जुटाने का काम करें और कोर्ट ने वह निर्देश दे भी दिया. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह बिल्कुल भी सही नहीं है कि अगर आपके पास सबूत नहीं है तो आप कोर्ट से कहें कि सबूत इकट्ठा करवाए जाएं और कोर्ट वह आदेश दे भी दे. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के वकील से कहा कि आप ये बताइए कि आखिर चार हिंदू महिलाओं की जिला जज की अदालत में याचिका क्या थी?


मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने कहा, एक अर्जी दाखिल होती है और इमिडियेट कोर्ट वैज्ञानिक सर्वे का आदेश कर दिया गया, जो गलत है. सीपीसी कहती है कि सर्वे कमीशन भेजा जा सकता है, सरकार को भी इस संदर्भ में निर्देश दिया जा सकता है. कानून कहता है कि वैज्ञानिक सर्वे के आदेश के पूर्व कमीशन भेजने पर वह मौके पर जाकर यह स्पष्ट कर सकते हैं कि विवादित स्थल पर सर्वे आसानी हो सकता है या नहीं और इसमें क्या दिक्कतें आ सकती हैं. सहूलियत के लिए क्या कदम उठाए जा सकते है, अदालत को वादपत्र के आधार पर आदेश करना चाहिए. 


मुस्लिम पक्ष ने तीन आपत्तियां जताईं-


- मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ASI ने इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई?
- सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है
- SC ने निचली अदालत को कहा था कि मुकदमा सुनने लायक है अथवा नहीं? इससे आगे बढ़कर सर्वे कराने का फैसला दे दिया गया.


हिन्दू पक्ष ने दी कोर्ट में ये दलील-


कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने दलील दी कि राम जन्मभूमि में भी ऐसा ही सर्वे हुआ था, पर वहां किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ. हिन्दू पक्ष ने सवाल उठाए कि मुस्लिम पक्ष सर्वे से क्यों डर रहा है, सच्चाई सामने आने क्यों नहीं देना चाहता? मुस्लिम पक्ष के वकील पूरे मामले की केस हिस्ट्री कोर्ट में बता रहे हैं. अदालत में केस कैसे आया और कब-कब क्या-क्या हुआ. इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि साक्ष्य है या नहीं, साक्ष्य के लिए सर्वे की मांग. मतलब बिना साक्ष्य वाद दायर किया. अर्जी में विरोधभासी तथ्य दिए हैं. वास्तव में कोई साक्ष्य नहीं है, बिना साक्ष्य वाद दायर किया है. 


कोर्ट ने पूछा ये सवाल

कोर्ट ने पूछा कि एएसआई को पार्टी क्यों नहीं बनाया तो वकील जैन ने कहा कि कोई नियम नहीं है. उन्होंने कहा कि  एएसआई को विशेषज्ञ के तौर पर आदेश दिया गया है. जैसे किसी राइटिंग एक्सपर्ट को राइटिंग की जांच के लिए आदेशित किया जाता है, ठीक उसी प्रकार एएसआई को सर्वे के लिए आदेशित किया गया है. इसके लिए पार्टी बनाना जरूरी नहीं. कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या हाईकोर्ट परिसर भी एएसआई के तहत आता है, वहां भी सर्वे कर सकते हैं तो एएसजी आई ने कहा जी यह भी आता है. उधर विष्णु जैन ने कहा कि जिला जज के समक्ष अर्जी में कहा है कि गुंबद के नीचे स्ट्रक्चर है, सत्यता पता करने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाय. मंदिर है या नहीं, इसके साक्ष्य सर्वे से मिलेंगे.


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