प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार और रोकथाम के उचित इंतजाम ना होने का पर चिंता जताई है. हाईकोर्ट ने कोरोना की रोकथाम के लिए योगी सरकार को सभी जिलों में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने का आदेश दिया है. 


इस कमेटी में सीजेएम रैंक के ज्यूडिशियल ऑफिसर, मेडिकल कॉलेज या किसी बड़े सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और एडीएम रैंक का कोई अफसर नामित किया जाएगा. तीन सदस्यों की यह कमेटी ग्रामीण इलाकों में कोरोना के बढ़ते संक्रमण की निगरानी करेगी. शिकायतों को दूर करेगी और स्थानीय प्रशासन व सरकार को अपने सुझाव देगी. हाईकोर्ट ने सरकार से दो दिनों के अंदर कमेटी बनाने को कहा है.


इसके अलावा हाईकोर्ट ने दवा व सही इलाज ना मिलने की शिकायतों को दूर करने के लिए भी कमेटी गठित करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने सरकार से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं और टेस्टिंग का ब्योरा भी तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण इलाकों की पीएचसी और सीएचसी में अब भी कोरोना का इलाज की व्यवस्था नहीं है. इलाज के अभाव में लोगों की मौतें हो रही हैं. ग्रामीण इलाकों में पीड़ित लोग सीधे एसडीएम से शिकायत कर सकते हैं. एसडीएम इन शिकायतों को खुद दूर करेंगे या शिकायत समिति को भेजेंगे.


इन जिलों का भी देना होगा ब्योरा
कोर्ट ने बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, श्रावस्ती और जौनपुर जिलों में स्वास्थ सुविधाओं और कोरोना से निपटने के इंतजाम का ब्योरा पेश करने को भी कहा है. इन जिलों के ग्रामीण इलाकों में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. कोर्ट ने सरकार से शहरी और ग्रामीण इलाकों में की गई टेस्टिंग का अलग-अलग ब्योरा पेश करने को भी कहा है.


अदालत ने इसके साथ ही हाईकोर्ट के सिटिंग जज रहे जस्टिस वीके श्रीवास्तव की मौत के मामले में भी तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं. कमेटी को 2 हफ्ते में अपनी जांच पूरी कर कोर्ट को रिपोर्ट देनी होगी.  अदालत कोरोना से जुड़े मामलों में 17 मई को फिर से सुनवाई करेगी. बता दें कि जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच में ये पूरी सुनवाई हुई.


कोरोना से चुनाव के दौरान जान गंवाने वाले अधिकारियों की मुआवजा राशि बढ़ाने पर विचार
इसके अलावा हाईकोर्ट ने यूपी में पंचायत चुनावों के दौरान ऑन ड्यूटी जान गंवाने वाले शिक्षकों व दूसरे कर्मचारियों की मुआवजा राशि बढ़ाने पर विचार करने को कहा है. हाईकोर्ट ने मुआवजे की रकम 30 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को ये आदेश दिया है. अदालत का मानना है कि शिक्षकों और कर्मचारियों ने सरकारी दबाव में चुनाव ड्यूटी की थी.


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