Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि जिस अपराध में अधिकतम सज़ा दस वर्ष है, उसमें विचाराधीन अभियुक्त का छह साल जेल में काट लेना और ट्रायल पूरा करने के लिए और समय मांगना न्याय के साथ मजाक है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में अगर गवाह नहीं आ रहे हैं तो उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए ट्रायल कोर्ट के पास पर्याप्त शक्तियां हैं. ट्रायल कोर्ट को गवाह के सहयोग न करने पर वारंट या गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश देने का अधिकार है.


कोर्ट ने यह टिप्पणी आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में लगभग छह साल से जेल में बंद पूर्व छात्र अनिकेत दीक्षित की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान की. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि गवाहों के नहीं आने से छह साल में भी ट्रायल पूरा नहीं हो सका है. कोर्ट ने आरोपी को जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट को यह आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने 31 अगस्त 2024 तक मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया है.


आरोपी अनिकेत की ओर से दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की गई थी. याची अनिकेत दीक्षित पर 2018 में कानपुर नगर के कल्याणपुर थाने में आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया है.याची 04 अप्रैल 2018 से जेल में बंद है. याची की पहली जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2018 को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने डेढ़ साल के भीतर मुकदमे के निस्तारण का निर्देश दिया था.


सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आईके चतुर्वेदी ने कहा कि याची एक छात्र है और वह पिछले छह सात सालों से जेल में है. यह आत्महत्या के लिए उकसाने के एक आरोपी के लिए बेहद अन्यायपूर्ण है. आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध में अधिकतम सजा दस साल है. याची अधिकतम सजा की आधी से ज्यादा सजा काट चुका है, लेकिन मुकदमे का फैसला अभी भी दूर है.


मामले की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट की ओर से मुकदमे के निस्तारण के लिए छह माह का और समय मांगा गया, जिस पर कोर्ट ने कहा कि हम पहले ही छह साल का समय बर्बाद कर चुके हैं. कोर्ट ने कहा अब छह माह का समय देना न्याय का मजाक है. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट किसी भी पक्ष या उनके गवाहों को कोई स्थगन दिए बिना प्रतिदिन मामले की सुनवाई करेगा. रविवार और अन्य सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर, वकीलों की हड़ताल की स्थिति में खुली अदालत या अपने चेंबर में सुनवाई करे. कोर्ट ने 31 अगस्त तक सुनवाई समाप्त करने का ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल बेंच ने दिया है.


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