अलीगढ़ में हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए पानी ने यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा दिया है, जिसके चलते टप्पल क्षेत्र के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. यमुना के उफान के कारण प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है. सबसे अधिक प्रभावित गांवों में महाराजगढ़, शेरपुर, घरबार, मालव, ऊटासनी और किशनगंज शामिल हैं. इन इलाकों में हजारों बीघा फसल जलमग्न हो गई है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है.

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन केवल औपचारिकता निभाने के लिए आता है और मौके पर वास्तविक मदद उपलब्ध नहीं करा रहा है. किसानों का कहना है कि उनकी खड़ी फसल बर्बाद हो गई है और मवेशियों के लिए चारे की भारी किल्लत हो गई है. बीमार ग्रामीणों तक स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी नहीं पहुंच रही हैं. कई मकान यमुना नदी के कटान की वजह से जर्जर हालत में हैं और गिरने की कगार पर हैं.

जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं लोग

गांव के किसान और पशुपालक नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर दूसरी ओर से चारा लाने को मजबूर हैं. वहीं, ऊंचे इलाकों की ओर मवेशियों को किसान ले जा रहे हैं. महाराजगढ़ की सोनवती ने बताया कि उनके घर तक यमुना का पानी पहुंच गया है और पशुओं के लिए चारा नहीं मिल रहा है. 

वहीं, भूप सिंह ने कहा कि अधिकारी केवल निरीक्षण के नाम पर आते हैं और कोई राहत नहीं देते. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि वह नाव से यमुना पार कर जंगल से चारा काटकर ला रहे हैं. उन्होंने आशंका जताई कि हथिनी कुंड से छोड़े गए करीब 3.50 लाख क्यूसेक पानी के कारण जलस्तर और बढ़ सकता है.

प्रशासन मदद नहीं पहुंचाने का आरोप

प्रशासन भले ही हालात से निपटने की पूरी तैयारी का दावा कर रहा हो, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाता है तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है. यमुना के बढ़ते जलस्तर ने किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा कर दिया है और पशुपालकों के लिए मवेशियों को बचाना बड़ी चुनौती बन गया है. बाढ़ प्रभावित गांवों में अभी भी राहत और बचाव कार्य की दरकार बनी हुई है.