उत्तर प्रदेश के कन्नौज में सियासत में भूचाल लाने वाली बड़ी कार्रवाई मंगलवार को सामने आई. समाजवादी पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष और सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी बताए जाने वाले नेता कैश खान को कोतवाली पुलिस ने उसके घर से गिरफ्तार कर लिया.
28 जुलाई को प्रशासन ने कैश खान पर जिला बदर की कार्रवाई की थी. आदेश साफ था कि आरोपी को जिले की सीमा से बाहर रहना होगा. लेकिन, कैश खान खुलेआम आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए अपने घर की टाड़ पर छिपकर रह रहा था.
कैश खान पर पहले से ही 5 मुकदमे विचाराधीन
पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं लगी. आखिरकार मुखबिर की सटीक सूचना पर पुलिस ने दबिश दी और आरोपी को दबोच लिया. कैश खान का आपराधिक रिकॉर्ड कोई नया नहीं है. उस पर पहले से ही 5 मुकदमे विचाराधीन हैं. इसके साथ ही उसने पुरातत्व विभाग की कीमती जमीन पर कब्जा करने का भी आरोप झेला है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक कैश खान लंबे समय से विवादित गतिविधियों में सक्रिय रहा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण कार्रवाई ठंडी पड़ती रही. कैश खान का आपराधिक रिकॉर्ड कोई नया नहीं है. उस पर पहले से ही 5 मुकदमे विचाराधीन हैं. इसके साथ ही उसने पुरातत्व विभाग की कीमती जमीन पर कब्जा करने का भी आरोप झेला है.
आरोपी पर गुंडा एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई
पुलिस सूत्रों के मुताबिक कैश खान लंबे समय से विवादित गतिविधियों में सक्रिय रहा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण कार्रवाई ठंडी पड़ती रही. गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार ने साफ कहा कि आरोपी पर गुंडा एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई होगी. जिला बदर के बावजूद, जिले में छिपे रहने को गंभीर अपराध माना गया है.
जैसे ही गिरफ्तारी की खबर फैली, समाजवादी पार्टी के स्थानीय खेमे में हलचल मच गई. कैश खान को पार्टी का प्रभावशाली चेहरा माना जाता था. उसकी पकड़ न सिर्फ सियासत में, बल्कि प्रशासनिक हलकों तक बताई जाती रही है. यही वजह रही कि पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है.
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है. जिला बदर की कार्रवाई के बावजूद, आरोपी लगभग एक महीने तक अपने ही घर में छिपा रहा और पुलिस को भनक तक नहीं लगी. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या स्थानीय स्तर पर मिलीभगत के कारण आरोपी इतने दिन तक बचा रहा?
कैश खान की गिरफ्तारी सिर्फ एक पुलिसिया कार्रवाई नहीं, बल्कि कन्नौज की राजनीति में भूचाल है. यह गिरफ्तारी जहां प्रशासन की सख्ती का संदेश देती है, वहीं यह भी दिखानती है कि सियासी रसूख और संरक्षण के दम पर आरोपी कितने दिनों तक कानून को चुनौती देता रहा.