आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में उस वक्त सनसनी फैल गई, जब छापेमारी के दौरान नकली और एक्सपायरी दवाओं का पूरा जखीरा सामने आ गया. आगरा नकली, नशीली और प्रतिबंधित दवाओं का बड़ा हब बन चुका है. ऐसे में शासन के निर्देश पर आगरा में एक ऐसी फर्म पर छापा पड़ा है, जहां नकली एक्सपायरी दवाओं को रीप्रिंट कर ऊंचे दामों पर बेचा जाता था.


फूड लाइसेंस की आड में चल रहा गोरखधंधा


ड्रग और औषधि विभाग और पुलिस ने जांच में पाया कि किस तरह फूड लाइसेंस की आड में एक्सपायरी दवाओं को मार्केट में खपाया जा रहा है. राजोरा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रदीप और धीरज राजोरा नाम के दो भाई इस फर्म को संचालित कर रहे थे.


एक्सपाइरी दवाओं का जखीरा बरामद


प्रशासन की ओर से मारे गए इस छापे में न्यूरो एसिडिटी से लेकर तमाम एंटीबायोटिक दवाओं का जखीरा बरामद हुआ है. जो पूरी तरह से एक्सपायर हो चुके हैं लेकिन रीपैकेजिंग कर उनको मार्केट में खपाया जा रहा था.


नकली दवा से कमाए करोड़ों रुपये


दरअसल, शासन को जब नकली दवाओं के इस बड़े खेल की जानकारी मिली तो उन्होंने आगरा के साथ-साथ हाथरस, बुलंदशहर फिरोजाबाद और बागपत के ड्रग इंस्पेक्टरों को भी इस रेड में जांच करने के लिए भेजा. दवाओं के इस गोरखधंधे के मास्टरमाइंड B.Sc. और B.B.A. किए हुए हैं. जिन्होंने चंद रुपये के लालच में कुछ सालों में करोड़ों रुपये कमा लिए हैं. फिलहाल जांच जारी है और इस बात का पता लगाया जा रहा है कि कौन-कौन से और लोग दवाओं के इस गोरखधंधे में शामिल है.


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