UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के सियासी समर में सभी राजनीतिक दल अपने जीत के समीकरण को बैठाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. इसी सिलसिले में हम आपको लगातार प्रत्येक विधानसभा के सियासी इतिहास और समीकरण को बता रहे हैं. चलिए बागपत के सियासी माहौल को समझते हैं. बड़ौत, बागपतबड़ौत सीट पर 2017 के नतीजेबीजेपी के केपी मलिक को करीब 80 हजार वोटरालोद के साहब सिंह को करीब 52 हजार वोटसपा के शोकेंद्र तोमर को करीब 28 हजार वोटसपा और रालोद मिलाकर बीजेपी से ज्यादा वोटबसपा के लोकेश दीक्षित को 22 हजार वोट मिले
बड़ौत सीट पर 2012 के नतीजेबसपा के लोकेश दीक्षित 6 हजार वोट से जीतेरालोद के अश्विनी कुमार दूसरे नंबर पर थेसपा के अजय कुमार तीसरे नंबर पर थेसपा और रालोद मिलाकर 45% से ज्यादा वोटबीजेपी के नवीन कुमार चौथे नंबर पर थेशहरी क्षेत्र में वैश्य और जैन समाज के वोटरजाट वोटर हार-जीत में अहम होते हैंमुस्लिम और दलित वोटर्स भी काफी महत्वपूर्णरालोद का गढ़ मानी जाती थी बड़ौत सीटदंगे के बाद जातीय समीकरण बदले थे
छपरौली, बागपतछपरौली सीट पर 2017 के नतीजेरालोद के सहेंद्र सिंह रमाला जीते, 65 हजार वोटबीजेपी के सतेंद्र सिंह को 61 हजार वोट मिले थेसपा के मनोज चौधरी को 40 हजार वोट मिले थेबसपा की राजबाला को 30 हजार वोट मिले थेरालोद और सपा को मिलाकर 1 लाख से ऊपर वोटछपरौली सीट पर 2012 के नतीजेरालोद के वीरपाल जीते थे, करीब 70 हजार वोटबसपा के देवपाल सिंह को 48 हजार वोट मिले थेसपा के मनोज कुमार को सिर्फ 14 हजार वोट मिलेबीजेपी के वेदपाल को 5 हजार से भी कम वोटबीजेपी को छपरौली में तीन फीसदी वोट ही मिले
छपरौली सीट का इतिहास2002 से अभी तक लगातार रालोद की जीतउम्मीदवार कोई भी, रालोद ही जीतती आई है1996 में भारतीय क्रांति दल ने जीत दर्ज की1989 से 1993 तक तीन बार जनता दल जीतीसपा, कांग्रेस और बीजेपी कभी नहीं जीत पाईजाट और मुस्लिम गठजोड़ राह आसान करता हैछपरौली सीट पर जाट बहुत ज्यादा हैंमुजफ्फरनगर दंगे के बाद समीकरण बदले थेरालोद का सबसे बड़ा किला माना जाता हैपूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह की पहचान वाला क्षेत्र
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