अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी आज (11 अक्टूबर) भारत दौरे के तहत दारुल उलूम देवबंद पहुंचेंगे. देवबंद पहुंचने से पहले ही यहां के स्टाफ और प्रशासन ने उनके स्वागत की पूरी तैयारी कर रखी थी. दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि मुत्ताकी करीब सुबह 10:30 बजे देवबंद पहुंचे. उनके आने के बाद उन्हें दारुल उलूम देवबंद का दौरा कराया जाएगा. दोपहर करीब 3 बजे वह छात्रों और आम जनता को संबोधित करेंगे.
अशरफ उस्मानी ने कहा, “अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी आज यहां आ रहे हैं. हम उनके स्वागत की पूरी व्यवस्था कर रहे हैं. वह लगभग सुबह 10:30 बजे पहुंचेंगे. उनके आने के बाद हम उन्हें दारुल उलूम देवबंद दिखाएंगे, और दोपहर करीब 3 बजे वह लोगों को संबोधित करेंगे. वह हमारे देश के मेहमान हैं, इसलिए उनकी पूरी देखभाल करना हमारा फर्ज है. आज के कार्यक्रम में वह छात्रों और आम जनता को संबोधित करेंगे.”
दारुल उलूम की परंपरा के मुताबिक स्वागत
मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने आगे बताया कि मुत्ताकी साहब के लिए सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा, “10 से 11 बजे तक वो पहुंच जाएंगे. यहां पर आने के बाद में वो पहले दीक्षा लेंगे, तालीम हासिल करेंगे, इजाजत-ए-हदीस लेंगे. दारुल उलूम देवबंद दिखाने के बाद उनको मेहमानखाने ले जाया जाएगा. वहां पर उनका नाश्ता और खाना वगैरह है.”
'वो हिंदुस्तान के मेहमान हैं'
अशरफ उस्मानी ने साफ कहा कि मुत्ताकी का स्वागत किसी खास इंतजाम के तहत नहीं, बल्कि दारुल उलूम की परंपरा के अनुसार हो रहा है. उन्होंने कहा, “जो हमारे मेहमान आते रहते हैं और जाहिर बात है हिंदुस्तान के मेहमान हैं वो और हमें हिंदुस्तान के मेहमान का ख्याल रखना है. हमारे कंट्री के गेस्ट हैं तो हम उनका इसी ऐतबार से इस्तकबाल कर रहे हैं, जैसे कंट्री के गेस्ट का किया जाना चाहिए.”
उन्होंने आगे कहा, “दारुल उलूम देवबंद के दरवाजे सबके लिए खुले रहते हैं. बस एक उनका प्रोग्राम रखा गया है, यहां पर जो जनरल पब्लिक आ सकती है, उनको एड्रेस करेंगे.”
'दारुल उलूम एक इंटरनेशनल एकेडमिक लीडर'
अशरफ उस्मानी ने कहा, “दारुल उलूम तो असल में एक एकेडमिक लीडर है, इंटरनेशनल एकेडमिक लीडर है. यहां पर सभी आते हैं और हर एक से उसका एक ताल्लुक है. जो भी एकेडमिक होगा, जो भी शिक्षा से ताल्लुक रखने वाला होगा, वह किसी भी धर्म और समाज का हो, अगर वह वाकई शिक्षा से संबंधित है तो दारुल उलूम से वह यकीनन तौर पर मुतालिफ होगा और यहां से एक ताल्लुक रखता होगा. जो भी यहां आना चाहेगा वो दारुल उलूम की शिक्षा पद्धति को देखना चाहेगा कि दारुल उलूम है क्या?”