गाजीपुर. बरही गांव स्थित शांति निकेतन इंटर कॉलेज में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. इस कॉलेज में इंटर के छात्रों को शिक्षा देने के लिए उन शिक्षकों की नियुक्ति की गई है जो अपनी नियुक्ति के समय खुद इंटर फेल है. जी हां इस कॉलेज में 1993 में हिंदी के लेक्चरर के पद पर कोमल यादव की नियुक्ति की गई थी. पांच साल बाद 1998 में वो इसी कॉलेज से इंटर पास करती है. हालांकि कॉलेज प्रशासन की तरफ से कोमल को 2007 से वेतन देने की बात कही गई है, लेकिन अगर हम कागजों की बात करें तो प्रबंध तंत्र और जिला विद्यालय निरीक्षक की मिलीभगत से 2007 से पहले का भी वेतन निकाल लिया गया है.


इंटर कॉलेज में भ्रष्टाचार का एक और मामला है. इसी कालेज में परिचारक के पद पर 1980 के आसपास रामध्यान यादव की भी नियुक्ति की गई थी. रामध्यान को प्रबंध तंत्र ने प्रमोशन देते हुए 1992 में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त कर दिया. इनकी नियुक्ति के बाद इनका वेतन परिचारक के बजाय सहायक अध्यापक के पद का वेतन मिलना चाहिए, लेकिन 1998 तक इन्हें परिचारक की ही वेतन दिया गया है. 


शिकायतकर्ता का आरोप है कि राम ध्यान एक साथ दोनों पदों का वेतन लेता रहा है. इतना ही नहीं इस कॉलेज में दो अन्य पदों पर भी प्रबंध तंत्र के बेटी और दामाद की नियुक्ति की गई है. इनकी नियुक्ति में भी काफी हेर-फेर है. बाद में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक रामकरण यादव द्वारा विभागीय कार्यवाही की गई. उस विभागीय कार्रवाई के आगे भूपेश गुप्ता ने हाईकोर्ट की भी सहारा लिया.


दिनेश शर्मा ने लिया संज्ञान
इस तरह इस कॉलेज में फर्जीवाड़े कर लगातार भ्रष्टाचार किया गया. इस भ्रष्टाचार की शिकायत इसी विद्यालय में परिचारक के पद पर कार्यरत अंगद यादव ने की. अंगद ने इस फर्जीवाड़े की शिकायत मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा तक से की है. उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के द्वारा इस मामले को संज्ञान में लिया गया है.


ये भी पढ़ें:


सपा नेता राम गोविंद चौधरी का दावा- किसान नहीं हैं प्रियंका गांधी, किसानों की पीड़ा को नहीं समझ सकती


उत्तराखंड: आसानी से नहीं मिलेगी बदमाशों को जमानत, पुलिस ने तैयार किया है खास प्लान