Udaipur News: बीड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल में आने वाले तेंदू पत्ते को लेकर उदयपुर (Udaipur) में बड़ी खबर सामने आई है. इन पत्तों का इस साल ठेका 31 करोड़ रुपए से ज्यादा में बिका है. यही नहीं, पिछले 12 साल में 202 करोड़ रुपए का राजस्व (Revenue) मिल चुका है. इससे दो फायदे हुए, पहला तो वन विभाग के पास राजस्व आया और दूसरा उदयपुर संभाग की तेंदू पत्ते की सभी 74 यूनिट बिकने से वहां रहने वाले आदिवासी लोगों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि ठेकेदार उन्हीं से पत्ते तुड़वाते हैं. यह राजस्व पिछले साल से 3 करोड़ ज्यादा है. बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा सप्लाई दक्षिण भारत (South India) में होती है.


मांग ज्यादा होने से इस बार एक ही चरण में पूरी हो गई नीलामी
अधिकारियों ने बताया कि मांग अधिक होने के कारण इस बार नीलामी भी एक ही चरण में हो गई, जबकि वर्ष 2019 और 2020 में डिमांड कम होने से दो चरणों में नीलामी करानी पड़ गई थी. इस बार 31 करोड़ 67 लाख का राजस्व मिला. साल 2021 में 28 करोड़ 48 लाख रुपए का राजस्व मिला था. पिछले 12 वर्षों में 7 बार विभाग को 10 करोड़ से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ है. तीन साल से तो लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. जबकि साल 2017 में नीलामी से सबसे ज्यादा 54 करोड़ 97 लाख का राजस्व मिला था.


जानें नीलामी की प्रक्रिया में किन प्रदेशों के व्यापारियों ने लिया था हिस्सा
इससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि देशभर के व्यापारी संभाग में तेंदू पत्ता का ठेका लेने में रुझान दिखा रहे हैं. इस बार की नीलामी में प्रदेश सहित मध्य प्रदेश और गुजरात (Gujarat) के व्यापारियों ने भाग लिया था. 12 साल में तेंदू पत्ता नीलामी से 202.50 से करोड़ का राजस्व मिला है. इस साल 74 यूनिट के लिए 331 आवेदन थे. इसमें वन मंडल उदयपुर की 9, उदयपुर उत्तर 11, डूंगरपुर 9, प्रतापगढ़ 20, चित्तौड़गढ़ 14 और बांसवाड़ा की 11 तेंदुपत्ता इकाइयां हैं. बता दें विभाग को तेंदू पत्ते से ही नहीं बांस से सालाना 3 करोड़ और लकड़ी की नीलामी से करीब 1 करोड़ की कमाई होती है.


पत्तों की इकाइयों की नीलामी में ऐसा ट्रेंड बना हुआ है कि एक साल नीलामी कम तो दूसरे साल बढ़ जाती है. इसके कई कारण सामने आ रहे हैं. डिमांड बढ़ना, पत्ते की क्वालिटी दूसरे राज्यों में पत्तों की कमी होने पर वहां के व्यापारियों का यहां आने से नीलामी बढ़ती है. लेकिन कई बार व्यापारियों के यहां नहीं आने और तेंदू पत्तों के खराब हो जाने से नीलामी कम दरों पर हो जाती है. संभागीय वन संरक्षक आरके जैन ने बताया कि पहली बार तेंदू पत्ते की नीलामी एक बार में हो गई है. इससे पहले साल 2020, 2019 में दो, तीन चरणों में इकाइयों की नीलामी करनी पड़ी है. इस बार नीलामी में व्यापारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. विभाग को अच्छी संख्या में राजस्व मिला है. इसके साथ इस साल रेट भी अच्छी मिली.

यहां जानें वर्ष के अनुसार होने वाले आय का ब्योरा


साल 2015 : 50 करोड़ 2 लाख 9 हजार 775
साल 2016 : 15 करोड़ 84 लाख 92 हजार 919
साल 2017 : 54 करोड़ 97 लाख 61 हजार 829
साल 2018 : 22 करोड़ 82 लाख 51 हजार 501
साल 2019 : 7 करोड़ 76 लाख 51 हजार 284
साल 2020 : 5 करोड़ 20 लाख 65 हजार 42
साल 2021 : 28 करोड़ 48 लाख 52 हजार 290
साल 2022 : 31 करोड़ 67 लाख 79 हजार 552


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