Udaipur News: राजस्थान अपने इतिहास के साथ अपनी अलग-अलग कला के लिए भी प्रसिद्ध है. कई कलाकार हैं जो आज भी सैकड़ों साल पुरानी राजा-महाराजों के समय से चलती आ रही कलाओं को जिंदा रखे हुए हैं. उसी में है मेवाड़ की ठीकरी कला. यह वह कला है जो अभी भी बड़े-बड़े फोर्ट में देखी जा सकती है. इसमें कांच के टुकड़ों को जोड़कर विभिन्न प्रकार का आकार दिया जाता है. खासकर यह मेवाड़ में भी बनाई जाती है. इसको बनाने वाले कुछ लोग इस कला को आगे ले जा रहे हैं.आइये जानते हैं ठीकरी कला के बारे में.


बारीकी से होता है काम


उदयपुर में रहने वाले ठीकरी कला के जानकार गोपाल वैष्णव बताते हैं कि यह सैकड़ों वर्ष पुरानी कला है. आज अभी भी जब आप मेवाड़ के किले देखने जाएंगे तो कई दीवार ऐसे दिखेंगी जो कांच के टुकड़ों से खूबसूरत सजी हुई दिखाई देंगी. यह वही कला है जिसमें छोटे औजारों से कांच को आकार में काटा जाता है. फिर जो भी आकार देना है उसमें चिपकाकर दिया जाता है. यह काफी बारीकी से काम किया जाता है.इसमें वह कांच भी लिए जाते हैं जो बेकार हो चुके हैं. 


देसी के साथ विदेशी पर्यटक भी हैं कायल
उन्होंने बताया कि कांच से बनने के कारण यह खूबसूरत दिखाई देती है. उदयपुर पर्यटन स्थल है, जहां देसी और विदेशी पर्यटक आते हैं. दुकान पर सजी हुई ठीकरी कला से बनी वस्तुओं को देखकर ही आकर्षित हो जाते हैं. इसके लिए देश के बाहर से भी ऑर्डर आते हैं. वह जैसा शेप बोलते हैं उसी अनुसार हम बनाकर देते हैं. यह घर में रखने वाली सजावटी वस्तुओं के साथ दीवार भी बनती है. 


कितनी आती है बनाने की लागत
वैष्णव बताते हैं कि इसको बनाने में बारीकी से काम किया जाता है. इसलिए इसे बनाने के लिए 1200 रुपये स्क्वायर फिट के अनुसार चार्ज करते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि 1200 रुपये से शुरुआत है. इसके बाद काम के अनुसार लागत तय होती है.


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