सिरोही में कांग्रेस ने मंगलवार (9 दिसंबर 2025) को जिले के कई ज्वलंत मुद्दों को लेकर कलेक्ट्रेट के बाहर जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन किया. इस दौरान हजारों की संख्या में क्षेत्र से जुटे ग्रामीणों, किसानों और कार्यकर्ताओं के बीच पूर्व विधायक संयम लोढ़ा व जिला कांग्रेस अध्यक्ष लीलाराम गरासिया ने सरकार को घेरने का काम किया है.

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पिण्डवाड़ा क्षेत्र में मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड की 800.9935 हेक्टेयर जमीन पर प्रस्तावित खनन परियोजना से लेकर जिला अध्यक्ष नें सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसानों कि जमीन जा रहीं है लेकिन सब मौन है. रामझरोखा मंदिर की जमीन पर बने विवादित पट्टों तक कांग्रेस ने कई गंभीर आरोप लगाए.

'किसानों के आंदोलन को नजरअंदाज कर रही सरकार'

जिला कांग्रेस अध्यक्ष लीलाराम गरासिया ने कहा कि पिण्डवाड़ा क्षेत्र के वाटेरा, भीमाना, भारजा, और रोहिड़ा क्षेत्र में 8000.9935 हेक्टेयर जमीन कमलेश मेटाकास्ट कि प्रस्तावित खनन परियोजना में जा रहीं है. किसान करीब दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है.

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जिला कांग्रेस अध्यक्ष लीलाराम गरासियाने कहा कि खनन परियोजना किसानों, मजदूरों और आदिवासी समुदाय को बर्बादी की ओर धकेल देगी. “किसानों की जमीन जा रही है, नौजवानों का भविष्य अंधकार में है, और सरकार को जनता का दर्द सुनाई नहीं दे रहा.”

पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने लगाए तीखे आरोप

धरने में सबसे तीखे आरोप पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने लगाए. उन्होंने दावा किया कि रामझरोखा मंदिर की जमीन पर जारी हुए पट्टे राज्य सरकार के मंत्री ओटाराम देवासी और उनके पुत्र के दबाव में बनाए गए. लोढ़ा ने आरोप लगाया कि 10 करोड़ रुपये के लेन-देन के बाद इन पट्टों को मंजूरी मिली. “नगर परिषद से मिली जानकारी के अनुसार सभी पट्टे मंत्री की सिफारिश पर बने हैं,” यह आरोप लोढ़ा का है.

लोढ़ा ने बताया कि उन्होंने पहले RTI के जरिए जानकारी मांगी, लेकिन कागजात उपलब्ध नहीं कराए गए. “माली समाज और पुरोहित समाज के युवाओं ने मुझे पूरे प्रकरण का विवरण दिया, उसके बाद विधि प्रकोष्ठ ने सभी तथ्य जुटाए. यह मंदिर भूमि किसी एक व्यक्ति की बपौती नहीं है, यह राजपरिवारों की दान में दी गई जमीन है, जिसे न तो बेचा जा सकता है, न कब्जा किया जा सकता है.”

पूर्व विधायक ने दी सरकार को चेतावनी

उन्होंने कहा कि यदि सरकार सात दिनों में पट्टे निरस्त नहीं करती है, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा. लोढ़ा ने संघ पर भी निशाना साधते हुए कहा, “आरएसएस खुद को हिंदू धर्म का ठेकेदार बताती है, लेकिन मंदिर की जमीन बिकने पर एक भी कार्यकर्ता आगे नहीं आया. इस धरने में 95% लोग हिंदू हैं, हमें किसी से हिंदू होने का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए.”

पूर्व विधायक ने जिला प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा नेताओं के लिए कलेक्ट्रेट के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं, जबकि शांतिपूर्वक आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस के बीच रोका गया. “दो साल में किसी अधिकारी से नहीं मिला, लेकिन जनता के मुद्दे पर हमेशा खड़ा रहूंगा.”

नरेगा मजदूरी का उठाया मुद्दा

लोढ़ा ने नरेगा मजदूरी का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि किसानों की हालत खराब है और भजनलाल सरकार ने मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने की बजाय मंत्रियों और विधायकों के भत्ते बढ़ा दिए. उन्होंने नरेगा मजदूरी ₹281 से बढ़ाकर ₹400 करने की मांग की. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नरेगा में 65% बजट घटा दिया गया है. “2022–24 के दौरान हर साल 40–50 हजार मजदूर नियोजित होते थे, आज सिर्फ 9700 मजदूर काम कर रहे हैं. इसका जवाब कलेक्टर को देना होगा.”

अपराध के मुद्दे पर सरकार को घेरा

उन्होंने जिले में बढ़ते अपराधों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि एक साल से अधिक समय से 51 लड़कियां गायब हैं, लेकिन बरामदगी नहीं हो सकी. “पुलिस हमारे सामने डंडे लेकर खड़ी है, जबकि असली अपराधियों को पकड़ने की पहल नहीं हो रही.” धरने के बाद कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर अल्फा चौधरी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. 

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि मंदिर भूमि पर जारी हुए पट्टों की जांच कर उन्हें निरस्त किया जाए, उन पर लिए जा रहे लोन को रोका जाए और भूमि पर रिसीवर नियुक्त किया जाए. साथ ही नरेगा भुगतान, खाद की कमी, बिजली आपूर्ति, किसानों के खेतों में बिना अनुमति हाई टेंशन लाइन बिछाने और उचित मुआवजे जैसे मुद्दों पर भी कार्रवाई की मांग की गई. कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो गांव-गांव में बड़ा जनसंघर्ष खड़ा किया जाएगा.