Rajasthan News: रणथंभौर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park) से कोटा लाए गए बाघिन के दोनों शावकों की अठखेलियां देखने को मिल रही हैं. बाघिन टी- 114 के दोनों शावकों को अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क (Abheda Biological Park) में लोगों से दूर रखा गया है. दोनों शावकों को 24 घंटे कैमरे की निगरानी में रखा जा रहा है. पार्क प्रबंधन उनकी हर सुख-सुविधा और जरूरत का ख्याल रख रहा है. रणथंभौर बाघ परियोजना की मादा बाघिन टी-114 की सर्दी से मौत हो गई थी.


नाइट शेल्टर कैज में रखे गए दोनों शावक


दोनों जीवित शावकों को रणथंभौर बाघ परियोजना के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ सीपी मीणा की अगुवाई में अभेड़ा बॉयोलोजिकल पार्क भिजवाया गया. उप वन संरक्षक (वन्यजीव) सुनील गुप्ता ने बताया कि दोनों शावकों को नाइट शेल्टर कैज में रखा गया है. सीसीटीवी कैमरे लगाकर 24 घंटे स्टाफ मॉनिटरिंग कर रहे हैं. मादा बाघिन टी-114 के दोनों शावक स्वस्थ हैं. शावकों को वरिष्ठ पशु चिकित्सकों की गाइडलाइन्स के अनुसार खाद्य सामग्री दी जा रही है.


सर्दी से बचाने के लिए हीटर की व्यवस्था


नाइट शेल्टर कैज में सर्दी से बचाव के लिए हीटर की व्यवस्था की गई है. शावकों को प्राकृतिक आवास जैसा वातावरण उपलब्ध कराने के लिए एग्रोनेट से कवर कर पराल बिछाया गया है. रणथंभौर नेशनल पार्क की सीमा से सटे टोडरा-दोलाड़ा गांव के खेत में बाघिन टी-114 और उसके एक शावक की मौत हो गई थी. मौत के बाद उनके शव बरामद किए गए थे. आशंका जताई जा रही है कि बाघिन और उसके शावक की मौत की वजह कड़ाके की ठंड रही है.


बाघिन की मौत के बाद दोनों शावक आसपास ही देखे गए थे. सूचना मिलने पर सवाई माधोपुर से गई वन विभाग की टीम ने दोनों शावकों को कब्जे में लिया और पशु चिकित्सक की देखरेख में एक टीम के साथ वाहन से कोटा शिफ्ट किया.


परिवक्व होने पर कहां छोड़े जा सकते हैं?


शावकों के परिपक्व हो जाने पर बाघों का कुनबा बढ़ाने कोटा या बूंदी में छोड़ा जाएगा. स्वच्छंद विचरण के लिए मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व या रामगढ अभयारण्य में छोड़ा जा सकता है. बाघिन टी- 114 के दोनों शावक नर हैं. 


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