Aravalli Mountain Range: अरावली की पहाड़ियां जो बारिश और सर्दी तक हरियाली की चादर ओढ़ रहती है और अपनी खूबसूरती बिखेरती है, लेकिन यही अरावली की पहाड़ियां गर्मियां शुरू होने पर अग्नि स्नान करती है. हर जगह अरावली की पहाड़ियों पर भीषण आग लगती है. इसे काबू करने के लिए विभागों की तरफ से देसी तरीके अपनाएं जाते हैं. 


हालांकि इनके पीछे लोगों की मान्यता भी है और आग लगाने के पीछे जगल के कारण भी. जानिए क्या है इसके पीछे कहानी. उदयपुर संभाग में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज है. इनमे मगरा (पहाड़ी) स्नान कराने की मान्यता है. दरअसल होता यह कि अगर किसी के भी मन्नत पूरी हो जाती है एट वह मगरा स्नान कराता है. ऐसे में पहाड़ियों पर कुछ आग लगाई जाती है.


पत्तो के घर्षण से आग लग जाती है
लेकिन हवा के साथ वह फेल जाती है. यह भी है की पतझड़ ने पत्ते टूटकर गिरते हैं और तेज हवाएं चलती है. ऐसे में पत्तों के घर्षण से आग लग जाती है. आग भी सामान्य नहीं रहती है. एक पहाड़ी पर लगी आग कई दिनों तक चलती है और वह आगे से आगे बढ़ती रहती है. इससे कई वनस्पति का भी नुकसान होता है और वन्यजीव पर भी खतरा.


आबादी क्षेत्र को ऐसे बचाते है विभाग के कर्मचारी
पहाड़ी पर आग लगाने पर उसको काबू में लाने के लिए वैसे तो पूरा प्रशासन लगा रहता है लेकिन मुख्य रूप से नगर निगम और वन विभाग की टीम काम करती है. बड़ी पहाड़ियों के ऊपरी हिस्से में आग लगती है तो उसे बुझाने का प्रयास नहीं होता है. लेकिन जब यह आ विकराल रूप लेने लगती है और आबादी क्षेत्र की तरफ आती है क्योंकि उदयपुर में हर जगह पहाड़िया है और इन पर आबादी बसी है. ऐसे में नगर निगम की तरफ से फायर ब्रिगेड लगाई जाती है.


फायर ब्रिगेड ज्यादा ऊपर तक नहीं पहुंच पाती जिससे वह आबादी क्षेत्र से पहले पहाड़ियों पर पानी का छिड़काव करती है. ताकि गीलेपन से आग आगे ना बढ़े. वही वन विभाग के कर्मचारी हाथ द्वारा सामान्य औजारों का उपयोग कर आग को काबू पाते हैं.


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