Siyasi Scan: साल 2013 का समय था. उस साल बीजेपी ने राजस्थान में अपने जीत के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. फिर भी एक सीट ऐसी थी जिसकी चर्चा खूब हुई. क्योंकि उस सीट बीजेपी की मात्र 329 वोट से हार हुई थी. उस हार ने भी काफी नाटकीय रंग ले लिया था. हम बात कर रहे हैं जयपुर जिले के आमेर विधानसभा सीट की. बीजेपी की तरफ से चुनाव हारने वाले नेता थे सतीश पूनियां. उस हार से पूनियां के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया था. वहां से पूनियां संगठन की तरफ ही रह गए. लेकिन फिर साल 2018 में आमेर सीट से सतीश पूनियां बीजेपी के टिकट पर मैदान में आए. इस बार उन्हें लगभग 13 हजार से अधिक मतों से जीत मिली. अब पूनियां तीन साल से अधिक समय से राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष हैं. आप भी इस पूरी सियासी कहानी को सिलसिलेवार तरीके से ​पढ़िए. 


बड़ी रोचक थी हार और जीत 
जानकार बताते हैं कि जब साल 2013 में पूरे राजस्थान में बीजेपी की सुनामी थी, ऐसे में आमेर पर पूनियां की हार भी इतनी आसान नहीं थी. बताया जाता है कि एक बार सतीश पूनियां को लगभग तीन हजार मतों से जीत मिलने की बात सामने आई है. लेकिन ठीक कुछ देर में कुछ मतों के गिनती न होने की बात भी सामने आई. उसके बाद सतीश पूनियां को 329 मतों से हार मिल गई. यह हार और जीत भी बड़ी रोचक बनी रही. 


कुछ ऐसी रही युवा राजनीतिक शुरुआत 
सतीश पूनियां 1982 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए. साल 1982 से लेकर 1992 तक यूनिट प्रेसिडेंट महाराजा कॉलेज जयपुर में महानगर सहमंत्री, प्रदेश सहमंत्री, महानगर मंत्री और प्रदेश मंत्री के पद पर काम किया. 1989 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी बने और बोफोर्स भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया, उस दौरान जेल भी गए थे. 1998 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के  राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए. उसके 14 मार्च से 7 अप्रैल तक युवा जागरण पद यात्रा भी निकाली. इस 550 किलोमीटर की यात्रा में हजारों से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.1998 से लेकर 2003 भारतीय जनता युवा मोर्चा की केंद्रीय कार्यकारिणी में साझेदारी निभाना और पंजाब के प्रभारी के रूप में कार्य किया.


बीजेपी में मिली जिम्मेदारी 
साल 2000 के बाद से सतीश पूनियां ने अपनी पारी बीजेपी में शुरू कर दी थी. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में साल 2004 से 2006 तक प्रदेश महामंत्री और 2006 से 2007 तक प्रदेश मोर्चा प्रभारी के रूप में कार्य किया. पूनियां साल 2004 से 2014 तक चार बार भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं. इसके बाद साल 2011 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा के संयोजक रहे. साल 2010 और 2015 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी अहम भूमिका निभाई. साल 2013 में आमेर विधानसभा क्षेत्र से खड़े हुए. उनके सामने नेशनल पीपल्स पार्टी से नवीन पिलानिया थे. उन्होंने सतीश पूनियां को 329 वोट से हरा दिया. इस इलेक्शन में नवीन पिलानिया को 51103 वोट, सतीश पूनिया को 50774 वोट और गंगा सहाय शर्मा को 40651 वोट मिले थे.


2013 आमेर विधानसभा चुनाव में इतने कम वोटो से हार के बाद सतीश पूनियां के कदम नहीं लड़खड़ाए उन्होंने 5 साल निरंतर कार्य किया. 2018 के आमेर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से प्रशांत शर्मा और बीएसपी से नवीन पिलानिया को पछाड़ते हुए 13276 मतों से पूनियां ने जीत दर्ज कर ली. 


बीजेपी अध्यक्ष के रूप में मिली जिम्मेदारी 
सतीश पूनियां आमेर से विधायक तो बने लेकिन प्रदेश में बीजेपी की हार हो गई. साल 2018 में जीतने के बाद पूनियां को अगले साल ही दिसंबर 2019 में बड़ी जिम्मेदारी मिल गई. डॉ. सतीश पूनिया को राजस्थान बीजेपी (Rajasthan BJP) के प्रदेशाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया. उसके बाद उन्हें तीन साल के कार्यकाल के बाद भी एक्सटेंशन मिल गया है. अब इस चुनावी साल में राजस्थान में बीजेपी में सतीश पूनियां की भूमिका अहम दिख रही है.


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