राजस्थान में एसआईआर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसके पूरा होने पर जारी हुई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 42 लाख नाम कट गए हैं. संशोधित लिस्ट सामने आने के बाद एसआईआर को लेकर पहले से हंगामा कर रहा विपक्ष फिलहाल शांत नजर आ रहा है. विपक्ष के बजाय अब सत्ताधारी बीजेपी ज्यादा टेंशन में नजर आ रही है.
सीएम और डिप्टी सीएम समेत बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता जिन सीटों से विधायक चुने गए हैं, वहां बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटे हैं. राजधानी जयपुर में तो सीएम-डिप्टी सीएम और कैबिनेट मंत्री की सीटों पर 60 हजार या उससे ज्यादा नाम कट गए हैं.
बीजपी सरकार मंथन में जुटी
सरकार और बीजेपी अब एसआईआर को लेकर नए सिरे से मंथन में जुट गई है. पार्टी ने अब बड़ी संख्या में नामों को लेकर आपत्तियां जताने और नए वोटरों के नाम जुड़वाने की रणनीति तय की है. कहा जा सकता है कि राजधानी जयपुर समेत राजस्थान की तमाम सीटों पर एसआईआर का दांव बीजेपी के लिए गले की फांस बनता हुआ नजर आ रहा है.
राजस्थान में एसआईआर का दांव बीजेपी के लिए कैसे उल्टा पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है, इसे समझने के लिए राजधानी जयपुर की कुछ विधानसभा सीटों की संशोधित वोटर लिस्ट पर निगाह डालनी होगी. राजस्थान में सबसे ज्यादा नाम राजधानी जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट से कटे हैं.
मंत्रियों की सीटों से कटे इतने नाम
राज्य के कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर की इस सीट पर 68 हजार 584 वोटरों के नाम काटे गए हैं. इसी तरह सीएम भजनलाल शर्मा की जयपुर की सांगानेर सीट पर 61 हजार 674 वोटरों के नाम बाहर हुए हैं. डिप्टी सीएम दिया कुमारी की विद्याधर नगर सीट पर 57 हजार 424 वोटरों के नाम काटे हैं.
बगरू सीट पर 47 हजार 522, पत्रकार से विधायक बने गोपाल शर्मा की सिविल लाइन सीट पर 49 हजार 474, अपने बेबाक बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले स्वामी बाल मुकुंद आचार्य की हवामहल सीट पर 38 हजार 708, सात बार के विधायक और कई बार मंत्री रहे कालीचरण सराफ की मालवीय नगर सीट से 33 हजार 022 वोटरों के नाम कम हुए हैं. जिन सीटों पर कांग्रेस के बड़े नेता जीते हैं, वहां कम नाम कटे हैं.
ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद शुरू हुई सियासी बयानबाजी
इसे लेकर अब सियासी बयानबाजियां भी शुरू हो गई हैं. बीजेपी की तरफ से कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने नियमों के मुताबिक काम किया है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह तथ्यों से परे हटकर अनर्गल आरोप लगाती रहती है. कभी ईवीएम का रोना रोती है तो कभी एसआईआर के बहाने लोगों को गुमराह करने का काम करती है.
ड्राफ्ट लिस्ट पर क्या बोली कांग्रेस?
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इसे लेकर सधा हुआ बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हमेशा हिंदू-मुसलमान करने वाली बीजेपी को समझ लेना चाहिए कि 90 फीसदी से ज्यादा नाम हिंदू वोटरों के कटे हैं. कल तक एसआईआर को लेकर हंगामा खड़े करने वाली कांग्रेस अब कह रही है कि गलत तरीके से जुड़े हुए नाम हटने ही चाहिए.
निर्दलीय विधायक ने दिया नपा-तुला बयान
निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी अब इसे लेकर नपा-तुला बयान ही दे रहे हैं. उनका भी कहना है कि वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण होना ही चाहिए. कहा जा सकता है कि राजस्थान में एसआईआर ने राजनीतिक दलों का सियासी समीकरण गड़बड़ा दिया है. इसमें सबसे ज्यादा टेंशन बीजेपी को ही हुई है.