सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद अरावली पर्वतमाला को लेकर सिरोही जिले में माहौल पूरी तरह गरमा गया है. अरावली के आसपास खनन पर रोक और पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों में जबरदस्त जागरूकता देखने को मिल रही है. जिले भर में “सेव अरावली” अभियान जोर पकड़ रहा है और सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक विरोध तेज हो गया है.

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अरावली की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर सिरोही जिले में स्थित है. गौरतलब है कि अरावली पर्वत माला की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू में स्थित है, जिसकी ऊँचाई लगभग 1722 मीटर (5650 फीट) है. यह पर्वत श्रृंखला न केवल ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर है, बल्कि पूरे क्षेत्र के जल, पर्यावरण और जैव विविधता का आधार भी मानी जाती है.

800 हेक्टेयर में प्रस्तावित खनन परियोजना से बढ़ी चिंता

सिरोही जिले में अरावली पर्वत माला से सटे क्षेत्रों में एक बड़ी खनन परियोजना प्रस्तावित है, जिसमें करीब 800.9935 हेक्टेयर (लगभग 3200 बीघा) भूमि शामिल है. यह परियोजना पिण्डवाड़ा तहसील के वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा ग्राम पंचायत क्षेत्रों में अरावली रेंज के बेहद नजदीक प्रस्तावित है.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह खनन परियोजना लागू हुई तो अरावली को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी और पूरे क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा. जिसको लेकर लोगों में जबरजस्त आक्रोश देखने कों मिल रहा है. 

तीन महीनों से लगातार विरोध, रैलियां और महापंचायतें

पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना के विरोध में पिछले तीन महीनों से हजारों लोग सड़कों पर उतर चुके हैं. जिले में विरोध रैलियां, धरना-प्रदर्शन और सर्व समाज की महापंचायतें आयोजित की जा रही हैं. हाल ही में दो दिन पूर्व आयोजित बड़ी सर्व समाज महापंचायत में सरकार को स्पष्ट अल्टीमेटम दिया गया.

28 जनवरी 2026 से बड़े आंदोलन का ऐलान

महापंचायत में सर्व समाज ने एक स्वर में कमलेश मेटाकास्ट की प्रस्तावित खनन परियोजना को निरस्त करने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो 28 जनवरी 2026 से बड़ा जन आंदोलन शुरू किया जाएगा.

अवैध खनन से पहले ही हो चुका भारी नुकसान

स्थानीय लोगों का आरोप है कि सिरोही जिले में पहले से ही बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो चुका है, जिससे अरावली की ऐतिहासिक पर्वतमालाओं को गंभीर नुकसान पहुंचा है. अब सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों के बाद खनन गतिविधियों के बढ़ने की आशंका से लोगों में और अधिक रोष है. कोर्ट के आदेश के अनुसार 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले पहाड़ अरावली नहीं माने जाएंगे.

सर्व समाज एकजुट, अरावली बचाने का संकल्प

फिलहाल सिरोही जिले में सर्व समाज एकजुट होकर अरावली बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई के मूड में नजर आ रहा है. लोगों का साफ कहना है कि विकास के नाम पर अरावली का विनाश किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. लोगों में जो जागरूक आई अरावली कों लेकर वो काबिले तारीफ है लोग एक स्वर में अरवाली बचाने कों लेकर जागृत हो चुके है. और बड़े आंदोलन की तैयारीयों में जुट चुके है.