राजस्थान में अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर सिरोही जिले में आंदोलन तेज हो गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली की नई कानूनी परिभाषा तय किए जाने के बाद प्रदेशभर में इस फैसले को लेकर मंथन और चिंता का माहौल है. इसी कड़ी में सिरोही जिले के रेवदर कस्बे में युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें आगामी सोमवार को विशाल विरोध रैली निकालने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया.
बैठक में युवाओं ने स्पष्ट कहा कि अरावली केवल पहाड़ों की श्रृंखला नहीं, बल्कि राजस्थान के पर्यावरण, जल संरक्षण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की आधारशिला है. ऐसे में अरावली से जुड़े किसी भी फैसले के दूरगामी प्रभावों पर गंभीरता से विचार किया जाना आवश्यक है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का हालिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला की कानूनी परिभाषा को लेकर स्पष्ट किया है कि अब केवल वही भू-भाग अरावली की श्रेणी में आएंगे, जिनकी ऊँचाई स्थानीय तल से कम से कम 100 मीटर या उससे अधिक होगी. इस आदेश के बाद पर्यावरण संरक्षण से जुड़े संगठनों और स्थानीय लोगों में यह आशंका गहराने लगी है कि कहीं इस परिभाषा की आड़ में अरावली के संवेदनशील क्षेत्रों में खनन और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा न मिल जाए.
रेवदर में युवाओं की अहम बैठक
रेवदर स्थित सियाराम कुटिया में आयोजित इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सामाजिक, पर्यावरणीय और स्थानीय प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की गई. युवाओं ने कहा कि अरावली का सवाल केवल कानूनी व्याख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर पानी, पशुपालन, कृषि, रोजगार और स्थानीय जीवनशैली से जुड़ा हुआ है. इस बात पर गंभीर चिंता जताई गई कि यदि अरावली क्षेत्र में खनन और अतिक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हुआ, तो इसके परिणाम आने वाले वर्षों में भयावह हो सकते हैं.
अरावली पर्यावरण और आजीविका की रीढ़ : जितेंद्र चौधरी
युवा सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र चौधरी ने कहा कि अरावली पर्वतमाला राजस्थान के पर्यावरण संतुलन की रीढ़ है. यह पर्वतमाला वर्षा जल संरक्षण, भूजल रिचार्ज, जैव विविधता और जलवायु संतुलन में अहम भूमिका निभाती है. उन्होंने कहा कि अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पशुपालन, कृषि और स्थानीय समुदायों की जीवनरेखा है.
युवाओं ने जताई गहरी चिंता
बैठक में मौजूद युवाओं ने एक स्वर में कहा कि राजस्थान पहले से ही जल संकट और बढ़ते तापमान जैसी समस्याओं से जूझ रहा है. ऐसे में यदि अरावली को कमजोर किया गया, तो इसके दुष्परिणाम पूरे प्रदेश को भुगतने पड़ सकते हैं. युवाओं ने कहा कि समय रहते ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर जल संकट, पर्यावरण प्रदूषण और आजीविका के संकट का सामना करना पड़ेगा.
सोमवार को निकलेगी विशाल विरोध रैली
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी सोमवार को सुबह 10 बजे सरेसी माता मंदिर, रेवदर से एक विशाल शांतिपूर्ण विरोध रैली निकाली जाएगी. रैली कस्बे के प्रमुख मार्गों से होती हुई उपखंड कार्यालय पहुंचेगी, जहां प्रशासन को ज्ञापन सौंपा जाएगा. ज्ञापन के माध्यम से अरावली पर्वतमाला के संरक्षण, अवैध खनन पर सख्त रोक, तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रभावों पर जनहित को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार की मांग की जाएगी.
बड़ी भागीदारी की अपील
आयोजकों ने क्षेत्र के युवाओं, सामाजिक संगठनों, पर्यावरण प्रेमियों और आम नागरिकों से बड़ी संख्या में रैली में शामिल होने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अरावली का मुद्दा किसी एक वर्ग या संगठन का नहीं, बल्कि पूरे समाज और प्रदेश के भविष्य से जुड़ा हुआ सवाल है.
बैठक में ये लोग रहे मौजूद
बैठक में जितेंद्र चौधरी, बलवंत मेघवाल, चेतन राव, दीपक देवासी, तरुण अग्रवाल, विक्रम सोनी, भावेश खंडेलवाल, ईश्वर घांची, यश गर्ग, महिपाल प्रजापत, प्रवीण प्रजापत, सनी अग्रवाल और दक्षा पंचाल सहित अनेक युवा उपस्थित रहे. बैठक के अंत में सभी ने अरावली के संरक्षण के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने का संकल्प लिया.