Rajasthan News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. ऐसे में 22 जनवरी को लोग दीपावली मनाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस बीच इसके विरोध में राजनीतिक दलों के नेताओं के कई बयान भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेता यह कहते दिख रहे हैं कि आलाकमान इस कार्यक्रम में जाएंगा या नहीं यह तो समय बताएगा.

 

वहीं इसको लेकर एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए सदगुरु रितेश्वर महाराज ने कहा कि देश की बड़ी पार्टी दुविधा में है कि राम मंदिर जाए या नहीं. उन्हें वैचारिक रूप से उन्नत होने की जरूरत है. इसके अलावा भी रितेश्वर महाराज ने कई बातों के जवाब दिए. जानिए एबीपी न्यूज से विशेष बातचीत में उन्होंने क्या कहा?

एबीपी न्यूज: अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. इससे राजनीतिक बवाल भी मचा है, क्या इस पर राजनीति होनी चाहिए?


रितेश्वर महाराज: राम भारत की आत्मा हैं, राम शब्द से जीवन में आराम है. यह विरोध और बाते विकृत राजनीति, वोट बैंक की राजनीति है. भारतवासी इस महान उत्सव को दीपावली की तरह मना रहे हैं. चंद लोगों को छोड़ दीजिए, यहां तक कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, वह भी अपने घर में दीपक जलाएंगे. कुछ लोग तो प्रारंभ से सनातन के विरोध में हैं, वह विरोध करते रहेंगे. 

 

एबीपी न्यूज: उड़ीसा के जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज ने अयोध्या जाने से माना किया है. कहा मोदी प्राण प्रतिष्ठा करेंगे तो मैं क्या ताली बजाऊंगा, इस पर आप क्या कहते हैं ?

 

रितेश्वर महाराज: देखिए, वह शंकराचार्य जी हैं, धर्म पीठ पर बैठे हुए है. उनका मत हो सकता है. सनातन में लिखा हुआ है नाना मुनि नाना मत. मत सबके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्र को लेकर सभी के मन में एक ही भावना है, राष्ट्र की उन्नति हो. वर्तमान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रवाद, हिंदू और देश के किए जो कार्य किया है वह भारत का बच्चा-बच्चा जानता है. भारत के पीएम को पूरा अधिकार है प्राण प्रतिष्ठा करने का.

 

एबीपी न्यूज: NCP (शरद गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड के भगवान राम को मांसाहारी कहने पर विवाद बढ़ा और फिर उन्होंने माफी मांग ली है. ऐसे पहले भी हुआ है, क्या कहना चाहेंगे?

 

रितेश्वर महाराज: बोलकर क्षमा मांग ली है तो, हमारे यहां क्षमा का बड़ा महत्व है. जो ऐसे विरोधी है और क्षमा भी नहीं मांगते, उनके विषय में कुछ नहीं बोलना क्योंकि उनकी प्रकृति है. हर युग में तो मत रहे हैं. सुर और असुर, अभी और मजबूत है तो उसमें कुछ बेसुरे लोग भी होंगे.

 

एबीपी न्यूज: आप गुरुकुल पद्धति से बच्चों की शिक्षा पर जोर देते हैं. राजस्थान का एकमात्र उदयपुर विद्या फॉरेस्ट स्कूल है जो इसी पद्धति से चलता है. क्या चाहेंगे सरकार से आप ऐसे स्कूलों को मान्यता और सरकारी सहयोग मिले?

 

रितेश्वर महाराज: देखिए, जब तक सनातन शिक्षा बोर्ड नहीं बनाता, तब तक हम गुरुकुलम के माध्यम से सनातन संस्कृति के बारे में जो जो भी पढ़ा सकते हैं पठाएंग. ऐसे जो भी गुरुकुल काम कर रहे हैं, वह प्रसंशा के पात्र है. विपरीत परिस्थितियों में भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति को जगाने में इनका योगदान नहीं भूला जा सकता. सत्य तो यह है कि एजुकेशन पॉलिसी को पूरी तरह से समाप्त करके, प्राचीन सनातन विद्या और आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान का समावेश करके एक फ्यूजन विद्या पद्धति हो.

 

एबीपी न्यूज: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का सभी इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी निर्णय नहीं ले पा रही है कि जाना चाहिए या नहीं. इस पर क्या सोचते हैं आप?

 

रितेश्वर महाराज: राम भारत की आत्मा है और कई सालों बाद ऐसा अवसर आया है. राम सभी के हैं, निमंत्रण और ना निमंत्रण की कोई जरूरत नहीं है. अपने परम पिता के घर में निमंत्रण की जरूरत नहीं पड़ती. देश की एक बड़ी पार्टी दुविधा में पड़ी है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा ने जाना चाहिए या नहीं, तो मुझे लगता है वैचारिक स्तर पर उन्हें उन्नत होने की जरूरत है और वैचारिक स्तर पर जो न्यूनता आई है वह उनके लिए ही नहीं, राष्ट्र के लिए भी घातक होगा क्योंकि प्रबल विपक्षी भी होना चाहिए. इस मानसिकता से तो विपक्ष नहीं बनाया जा सकता. निर्णय लेना चाहिए राम हमारे भगवान हैं, भारत की आत्मा हैं. क्यों नहीं जाना चाहिए.