राजस्थान के राजसमंद जिले की पासून पंचायत के मोर्चना गांव से इंसानियत को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है. गांव के निवासी चुन्नीलाल कुमावत समेत अन्य के निधन के बाद, परिजनों और ग्रामीणों को अंतिम यात्रा मोक्षधाम तक ले जाने के लिए कमर तक पानी में होकर गुजरना पड़ रहा है.

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शमशान स्थल से लेकर रास्ते तक करीब 3 फीट तक पानी भरा हुआ है. इससे अंतिम संस्कार में भी खासी दिक्कतें आ रही हैं. राजसमंद झील के ओवरफ्लो होने से आसपास के गांवों में पानी भर चुका है, जिसके चलते श्मशान घाट तक जाने का रास्ता जलमग्न हो गया है.

जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा भी झेलना पड़ा

हालात इतने विकट हैं कि मृतकों के परिजनों को ले जाते समय ग्रामीणों को डूबने और जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा भी झेलना पड़ा. गांव के लोग कहते हैं कि एक तरफ अपने परिजन की मृत्यु का गम था तो दूसरी तरफ जान जोखिम में डालकर श्मशान तक पहुंचने की मजबूरी. यह नजारा ग्राम पंचायत के विकास के दावों की पोल खोलता है.

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जहां देश 21वीं सदी में मंगल और चांद तक पहुंचने की सोच रहा है. वहीं, ग्रामीण आज भी श्मशान तक जाने के लिए ऐसे हालात झेलने को मजबूर हैं. यह तस्वीर विकास कार्यों की हकीकत पर बड़ा सवाल खड़ा करती है.

लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा

बता दें, घरों, अस्पतालों में बारिश का पानी घुस गया है, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा, राजस्थान के भीलवाड़ा में एक बोलेरो खारी नदी में जा गिरी, जिसमें एक ही परिवार के 10 लोग सवार थे. शंभू गढ़ के बाकिया रानी माता मंदिर से लौटते समय यह हादसा हुआ.

खारी नदी उफान पर होने के कारण पानी पुलिया के ऊपर आ गया था. सभी 10 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. बाद में क्रेन की मदद से बोलेरो को भी बाहर निकाला गया.