Rajasthan Politics: राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  (Ashok Gehlot)के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) के अध्यक्ष बनने के कयासों के बीच यह सवाल उठने लगे हैं कि राज्य में उनकी जगह सीएम कौन होगा जो पार्टी के वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच सामंजस्य बनाते हुए हाईकमान को संतुष्ट कर पाएगा. कांग्रेस में एक पद एक व्यक्ति का सिद्धांत लागू है, ऐसे में गहलोत अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष (Congress President) के पद पर आसीन होते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ेगा.


जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर फिलहाल दो नाम तैर रहे हैं. पहला- सीपी जोशी (CP Joshi), तो वहीं दूसरा नाम सचिन पायलट (Sachin Pilot)  है. सीएम अशोक गहलोत की पूरी कोशिश होगी कि वह अपने किसी विश्वासपात्र को सीएम बनवा सकें. ऐसे में सचिन पायलट का नाम इस दौड़ से बाहर माना जा रहा है. अगर कांग्रेस हाईकमान, सचिन पायलट के नाम पर अड़ता है तो गहलोत आलाकमान को मनाने में कामयाब हो सकते हैं.


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फिलहाल स्पीकर हैं सीपी जोशी
बात सीपी जोशी की करें तो वह फिलहाल राज्य की विधानसभा में स्पीकर हैं. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. ऐसे में अगर पार्टी सीपी जोशी के नाम पर विचार करती है तो उनके सीएम बनने को लेकर शायद ही कोई सवाल उठे.


समझा जाता है कि साल 2019 में तमाम विरोध के बावजूद, सीएम गहलोत के बेटे और कांग्रेस नेता वैभव गहलोत को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनवाने में सीपी जोशी का समर्थन रहा है. इतना ही नहीं बीते दिनों जब सीएम गहलोत, जोधपुर में इंदिरा रसोई का उद्घाटन करने गए थे तो उनके साथ विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी भी साथ थे. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अशोक गहलोत अपनी जगह सीपी जोशी का नाम प्रस्तावित कर सकते हैं.


सचिन का बागी रुख 
दूसरी ओर जब से अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की चर्चा शुरू हुई तभी से पार्टी की राज्य इकाई और दिल्ली के गलियारों में सचिन पायलट के सीएम बनने की अटकलें लगाई जा रही है. बीते कुछ महीनों से पायलट के समर्थक, हाईकमान से मांग कर रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए. हालांकि समर्थकों की मांग और राजनीतिक कयासों पर सचिन पायलट खुल कर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.


साल 2020 के जून-जुलाई में सचिन पायलट ने सीएम गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. बात इतनी आगे बढ़ गई थी कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. पायलट मानने के बाद जब परिस्थितियां सामान्य हुईं तब कांग्रेस ने उन्हें इंतजार करने को कहा था. बीते दिनों राहुल गांधी ने भी एक कार्यक्रम में सचिन पायलट का जिक्र करते हुए कहा था कि 'ये कांग्रेस पार्टी हमें लगातार काम करने की ऊर्जा देती है. हमें थकने नहीं देती और हमें हर रोज धैर्य रखना सिखाती है.' 


उधर, अगले साल चुनाव के मद्देनजर, राज्य की कांग्रेस इकाई में जुबानी जंग शुरू हो गई है. बीते दिनों राज्य सरकार में मंत्री आशोक चंदाना पर कथित तौर पर पायलट के समर्थकों ने जूता फेंक दिया था. इस मामले पर चांदना ने एक ट्वीट कर कहा था- 'मुझ पर जूता फेंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बने तो जल्दी से बन जाए क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है. जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया तो फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता नहीं हूं.' वहीं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने बीते दिनों पायलट का नाम लिए बिना उन्हें 'बाहरी नेता' बता दिया था. हालांकि इन मुद्दों पर सचिन पायलट ने खुद कभी सामने नहीं आए.  


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